नई दिल्ली: लॉकडाउन में आर्थिक संकट झेल रहे प्रवासी मजदूरों पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की. कोर्ट ने आज सबसे पहले दिल्ली और उसके नजदीकी शहरों में रह रहे मजदूरों की स्थिति पर विचार किया. उन्हें राशन, भोजन और गांव वापस लौटने की सुविधा देने का निर्देश दिया है. वहीं अगले हफ्ते दूसरे राज्यों में मजदूरों की स्थिति पर सुनवाई होगी.


सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण और एमआर शाह की बेंच ने इस बात पर विचार किया कि कोरोना की दूसरी लहर में धीमी पड़ी औद्योगिक गतिविधियों से प्रवासी मजदूर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. अपने गांव लौटना चाह रहे मजदूरों का निजी ट्रांसपोर्टर ज्यादा किराया वसूलकर शोषण कर रहे हैं. इसके मद्देनजर कोर्ट ने केंद्र, दिल्ली, यूपी और हरियाणा सरकार को निर्देश दिया है कि-


* प्रवासी मजदूरों को सूखा राशन (अनाज) उपलब्ध करवाया जाए. अगर किसी के पास कोई पहचान पत्र न हो, तब भी उसे राशन से वंचित न किया जाए.


* एनसीआर के शहरों में रह रहे जो मजदूरों अपने गांव वापस लौटना चाहते हैं, उन्हें सड़क या रेल मार्ग से जाने की सुविधा दी जाए.


* एनसीआर के शहरों में रह रहे प्रवासी मजदूरों के लिए सामुदायिक रसोई शुरू हो. उनके परिवार को दिन में 2 बार भोजन दिया जाए.


कई निर्देश किए थे जारी


वहीं पिछले साल 9 जून को सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान पैदल वापस लौट रहे मजदूरों की स्थिति पर संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्यों को कई निर्देश जारी किए थे. इनमें 15 दिन के भीतर मजदूरों को सड़क या रेल के माध्यम से उनके राज्य पहुंचाने, उनके गांव में ही उन्हें रोजगार देने जैसी बातें शामिल थीं. कोर्ट ने राज्यों से इस बारे में रिपोर्ट देने के लिए भी कहा था. जजों ने आज के आदेश में दर्ज किया कि कई राज्यों ने अब तक जवाब दाखिल नहीं किया है. कोर्ट ने राज्यों को इसके लिए 10 दिन का समय दिया है.


कोरोना की दूसरी लहर में आर्थिक रूप से परेशान मजदूरों पर नई अर्जी वकील प्रशांत भूषण के जरिए दाखिल हुई है. मामले की अगली सुनवाई 24 मई को होगी. 2 जजों की बेंच ने संकेत दिए हैं कि अगली सुनवाई में खास तौर पर महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार और ओडिशा की स्थिति पर चर्चा होगी. कोर्ट ने इन राज्यों को मजदूरों के लिए उठाए गए कदमों पर विस्तार से जवाब देने को कहा है.