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यूपी की जेल में वापस आएगा बाहुबली मुख्तार, SC ने खारिज की पंजाब की दलीलें
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को आदेश दिया है कि वह 2 हफ्ते में मुख्तार को यूपी को वापस सौंप दे. कोर्ट ने कहा है कि मुख्तार को बांदा जेल ले जाया जाए. उसके स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर जो चिंताएं सुनवाई के दौरान जताई गई थीं, उनका जेल सुपरिटेंडेंट ध्यान रखें.
![यूपी की जेल में वापस आएगा बाहुबली मुख्तार, SC ने खारिज की पंजाब की दलीलें Supreme Court orders transfer of bahubali Mukhtar Ansari from Punjab jail to UP ann यूपी की जेल में वापस आएगा बाहुबली मुख्तार, SC ने खारिज की पंजाब की दलीलें](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/08/13205659/mukhtar.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी को पंजाब से यूपी वापस भेजने का आदेश दिया है. यूपी ने शिकायत की थी कि 2 साल पहले एक पेशी के लिए पंजाब ले जाए गए मुख्तार को पंजाब सरकार वापस नहीं भेज रही. इससे राज्य में लंबित संगीन अपराध के मुकदमे प्रभावित हो रहे हैं. वहीं, मुख्तार ने यूपी में अपनी जान को खतरा बताते हुए गुहार की थी कि उसे वहां न भेजा जाए. आज कोर्ट ने पंजाब सरकार और मुख्तार की दलीलों को खारिज कर दिया. जस्टिस अशोक भूषण और आर सुभाष रेड्डी की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली विशेष शक्ति का इस्तेमाल करते हुए यह आदेश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को आदेश दिया है कि वह 2 हफ्ते में मुख्तार को यूपी को वापस सौंप दे. कोर्ट ने कहा है कि मुख्तार को बांदा जेल ले जाया जाए. उसके स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर जो चिंताएं सुनवाई के दौरान जताई गई थीं, उनका जेल सुपरिटेंडेंट ध्यान रखें. कोर्ट ने यह भी कहा है कि प्रयागराज की विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट आगे यह तय करे कि मुख्तार को राज्य के किस जेल में रखा जाना है.
मामले की सुनवाई के दौरान मुख्तार अंसारी के वकील मुकुल रोहतगी ने ही उसकी जान को खतरा बताया था. रोहतगी ने कहा था कि एक मामले में उसके साथ सह आरोपी रहे मुन्ना बजरंगी को यूपी में एक जेल से दूसरी जेल ले जाते समय मार दिया गया था. ऐसा ही कुछ उसके साथ भी हो सकता है. उन्होंने मांग की थी कि मुख्तार को यूपी वापस न भेजा जाए. उसके खिलाफ लंबित सभी मुकदमों को पंजाब या दिल्ली ट्रांसफर कर दिया जाए. लेकिन आज दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्तार के खिलाफ लंबित मुकदमों को यूपी से बाहर ट्रांसफर करने से मना कर दिया है.
मुख्तार के वकील ने यह मांग भी की थी कि सभी मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही की जाए. इसके जवाब में यूपी सरकार की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था, "मुख्तार पर 50 एफआईआर हैं. इनमें से 14 केस की सुनवाई अंतिम दौर में हैं. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सभी मुकदमों की सुनवाई नहीं हो सकती. इस हिसाब से तो कहा जाएगा कि माल्या का मुकदमा भी ऐसे ही कर लिया जाए." उन्होंने कोर्ट को बताया कि मुन्ना बजरंगी मामला 2018 का है. मुख्तार पुरानी बातों के आधार पर यूपी न आने की दलील नहीं दे सकता."
पंजाब सरकार के वकील दुष्यंत दवे ने यह दलील दी थी कि यूपी सरकार अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट में नहीं आ सकती. इस तरह का अधिकार संविधान में सिर्फ नागरिकों को दिया है. इस पर यूपी सरकार ने यह कहा था कि किसी राज्य का मौलिक अधिकार नहीं होता. लेकिन नागरिकों का जरूर होता है. यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट में इसलिए आई है क्योंकि उसे अपने नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करनी है. उन नागरिकों को मुख्तार के पंजाब में रहने के चलते न्याय नहीं मिल पा रहा है.
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