Stridhan News: 'स्त्रीधन पर सिर्फ महिला का हक', SC का 'सुप्रीम' फैसला, जानिए इससे जुड़े हर जरूरी सवाल का जवाब
Supreme Court on Stridhan: लोकसभा चुनाव के बीच मंगलसूत्र और स्त्रीधन की खूब चर्चा हो रही है. ऐसे में आइए जानते हैं कि स्त्रीधन को लेकर कानून क्या कहता है.
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (26 अप्रैल) को कहा कि महिला का स्त्रीधन पूरी तरह से उसकी संपत्ति है. उसे अधिकार है कि वह उसका किस तरह के इस्तेमाल करती है. अदालत ने साफ किया कि स्त्रीधन में पति को हिस्सेदार नहीं बनाया जा सकता है, लेकिन अगर किसी तरह की परेशानी आती है तो पति को अपनी पत्नी की इजाजत से इसके इस्तेमाल की मंजूरी है. अदालत का ये फैसला तब आया है, जब मंगलसूत्र और स्त्रीधन को लेकर खूब चर्चा हो रही है.
जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ एक वैवाहिक विवाद पर सुनवाई कर रही थी, जिस दौरान उन्होंने स्त्रीधन को लेकर अहम टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि स्त्रीधन पत्नी और पति की संयुक्त संपत्ति नहीं है और पति के पास मालिक के रूप में संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता है. किसी महिला को शादी से पहले, शादी के समय, विदाई के समय या उसके बाद गिफ्ट में दी गई संपत्ति उसकी स्त्रीधन संपत्ति होती है. वह इसे खुद पर खर्च कर सकती है.
स्त्रीधन क्या होता है?
हिंदू धर्म में इस्तेमाल होने वाला स्त्रीधन एक कानूनी टर्म है. आसान भाषा में इसका मतलब स्त्री यानी महिला के धन से है. फिर वो पैसा, जमीन के कागज समेत कोई भी चीज हो जाती है. स्त्रीधन में उन सभी चीजों को शामिल किया जाता है, जो उसे बचपन से मिलती हैं. लोगों को लगता है कि शादी के दौरान मिलने वाली चीजें ही स्त्रीधन हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. इसमें छोटे-मोट गिफ्ट्स से लेकर सोना और सेविंग्स को भी शामिल किया जाता है. महिला को मिली प्रॉपर्टी भी इसका हिस्सा होती है.
महिलाओं को किस कानून के तहत मिला स्त्रीधन का अधिकार?
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 14 और हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 27 के तहत हर हिंदू महिला को स्त्रीधन का अधिकार मिला हुआ है. कानून के तहत महिला के पास इस बात का पूरा अधिकार है कि वह अपनी मर्जी से अपने स्त्रीधन को बेच सकती है या फिर किसी दान कर सकती है. घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 की धारा 12 में भी महिलाओं स्त्रीधन का अधिकार दिया गया है. घरेलू हिंसा का शिकार होने पर वे स्त्रीधन वापस ले सकती हैं.
आमतौर पर देखने को मिलता है कि जब किसी लड़की की शादी होती है तो उसके ससुराल वाले गहनों या उसे मिले गिफ्ट्स को रख लेते हैं. उसे सिर्फ मंगलसूत्र पहनने के लिए दे दिया जाता है. कानूनी टर्म में ससुराल में गहने रखने वाला व्यक्ति स्त्रीधन का ट्रस्टी कहलाता है. वहीं, अगर महिला जब अपने स्त्रीधन को मांगती है और उसे देने से इनकार किया जाता है, तो उसके पास कानूनी विकल्प भी मौजूद है.
दहेज और स्त्रीधन में क्या अंतर है?
लोगों को दहेज और स्त्रीधन में कंफ्यूजन हो जाती है. ऐसे में आज हम आपकी ये कंफ्यूजन भी दूर कर देते हैं. दहेज उस चीज को माना जाता है, जो मांगस्वरूप शादीशुदा जोड़े को दिया जाता है. दूसरी ओर स्त्रीधन में मिलने वाली चीजें किसी महिला को गिफ्ट में दी गई चीज होती है. ऐसे में अगर स्त्रीधन को ससुराल के लोग अपने कब्जे में रख लेते हैं, तो महिला को पूरा अधिकार है कि वह अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है.
क्या बेचा जा सकता है स्त्रीधन?
यहां सवाल उठता है कि अगर किसी महिला के पास स्त्रीधन है, तो क्या वह उसे बेच सकती है. कानून के तहत महिला को ये पूरा अधिकार मिला हुआ है कि वह स्त्रीधन को चाहे तो बेच सकती है. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि वह इसे दान या गिफ्ट भी कर सकती है. वहीं, अगर वह स्त्रीधन को अपने पति को देती है तो एक वक्त बाद पति को उसे लौटाना होगा. हालांकि, ये तभी संभव हो पाता है, जब पत्नी अपनी संपत्ति का लेखाजोखा रखती चली आ रही हो.
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