Supreme Court: राजनीतिक पार्टियों को चुनाव चिन्ह आवंटित किए जाने को गलत बता रही याचिकाकर्ता पर सुप्रीम कोर्ट ने 25 हज़ार रुपए का हर्जाना लगाया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची याचिकाकर्ता को जजों ने आदतन याचिका दाखिल करने वाला कहा. इसके बाद जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपना समय बर्बाद करने के लिए हर्जाना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी.
याचिकाकर्ता श्रद्धा त्रिपाठी का कहना था कि चुनाव चिन्ह प्रत्याशियों को दिया जाना चाहिए, पार्टियों को नहीं. उनकी दलील थी कि राजनीतिक दल चुनाव चिन्ह का दुरुपयोग कर मतदाता को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं. चुनाव चिन्ह रिटर्निंग ऑफिसर (निर्वाचन अधिकारी) की तरफ से सीधे उम्मीदवार को मिलना चाहिए.
पार्टी अपना प्रचार कैसे करेगी?
जस्टिस संजय किशन कौल और अभय एस. ओका की बेंच ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा, "अगर चुनाव चिन्ह नहीं मिलेगा, तो कोई पार्टी अपना प्रचार कैसे करेगी?" जजों ने पूछा कि आखिर हाई कोर्ट के आदेश में क्या गलती थी, जो याचिकाकर्ता यहां तक आ गया. इस पर याचिकाकर्ता ने दलील दी कि कानून चिन्ह प्रत्याशी को मिलना चाहिए. लेकिन पार्टियों को स्थायी रूप से चिन्ह मिले हुए हैं.
व्यर्थ का मुद्दा, लगेगा हर्जाना
जजों ने थोड़ी देर दलीलें सुनने के बाद कहा कि यह आदतन याचिका दाखिल कर देने का स्पष्ट उदाहरण है. बेंच ने कहा कि वह न सिर्फ याचिका खारिज करेगी, बल्कि व्यर्थ का मुद्दा उठा कर समय बर्बाद करने के लिए हर्जाना भी लगाएगी. आखिरकार, जजों ने 25 हज़ार रुपए का हर्जाना लगाते हुए सुनवाई बंद कर दी.
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