सुप्रीम कोर्ट के सामने आज एक अजीबोगरीब याचिका आई. एक याचिकाकर्ता ने लाल चींटी और हरी मिर्च की चटनी को कोरोना के इलाज में उपयोगी दवा बताया. सरकार को उस पर रिसर्च करने का निर्देश देने की मांग की. कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए सलाह दी कि याचिकाकर्ता वैक्सीन लगवाए.


ओडिशा के रहने वाले नायाधार पढियाल की याचिका में कहा गया था कि लाल चींटी में फॉर्मिक एसिड, प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन बी12 और जिंक जैसे तत्व मिलते हैं. हरी मिर्च के साथ इसकी चटनी ओडिशा और छत्तीसगढ़ के आदिवासी बुखार, कफ, सांस की समस्या जैसी बीमारियों में सफलतापूर्वक इस्तेमाल करते हैं. खुद भी आदिवासी समुदाय से आने वाले याचिकाकर्ता की मांग थी कि कोर्ट सरकार को इस पर शोध करने और इसका उपयोग करने का निर्देश दे.


हाई कोर्ट ने भी मामला कर दिया खारिज


याचिकाकर्ता के वकील अनिरुद्ध संगनेरिया ने जजों को बताया कि ओडिशा हाई कोर्ट ने पहली सुनवाई में उन्हें इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और आयुष मंत्रालय को ज्ञापन देने के लिए कहा था. साथ ही यह निर्देश भी दिया था कि दोनों संस्थाएं 3 महीने में इस विषय पर फैसला लें. लेकिन दोनों संस्थाओं ने इस पर अध्ययन कर पाने में असमर्थता जता दी. बाद में हाई कोर्ट ने भी मामला खारिज कर दिया.


बेहतर होगा कि याचिकाकर्ता भी वैक्सीन लगवाए- सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, विक्रम नाथ और हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि देश में बहुत सारे परंपरागत इलाज हैं. लेकिन कोर्ट उनके इस्तेमाल का आदेश नहीं दे सकता. जजों ने यह भी कहा कि हाई कोर्ट को मामला ICMR और आयुष मंत्रालय के पास भेजना ही नहीं चाहिए था. बेंच ने कहा कि वह इस पर विराम लगाना चाहती है. इसलिए, याचिका को खारिज किया जा रहा है. बेहतर होगा कि याचिकाकर्ता भी वैक्सीन लगवाए.


यह भी पढ़ें.


बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की BSP से हो सकती है छुट्टी, यूपी चुनाव में टिकट नहीं देगी पार्टी


Dengue in UP: डेंगू और वायरल बुखार से हुई मौतों पर मायावती ने जताई चिंता, बोंलीं- ध्यान दे योगी सरकार