Supreme Court On Zakir Naik Petition: भगोड़े जाकिर नाइक की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का महाराष्ट्र सरकार ने विरोध किया है. जाकिर ने भगवान गणेश के बारे में अपने विवादित पोस्ट के लिए कई राज्यों में दर्ज FIR को लेकर 2013 में यह याचिका दाखिल की थी. महाराष्ट्र सरकार की तरफ से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि देश छोड़ कर भाग गए व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट से संवैधानिक संरक्षण मांगने का अधिकार नहीं है.
जाकिर नाइक के वकील ने कोर्ट ने पूछे सवाल
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय ओका, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और ऑगस्टिन मसीह की बेंच ने सॉलीसीटर जनरल से लिखित जवाब दाखिल करने को कहा. बेंच ने जाकिर के वकील से भी कहा कि वह अपने मुवक्किल से निर्देश लेकर बताएं कि क्या वह याचिका वापस लेना चाहता है?
2012 में जाकिर ने भगवान गणेश के बारे में विवादित फेसबुक पोस्ट किया था. इसे लेकर उसके खिलाफ 5 राज्यों- महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, ओडिशा और कर्नाटक में एफआईआर दर्ज हुई थी. 2013 में उसने सभी केस को एक साथ जोड़ने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. उसने गिरफ्तारी पर रोक की भी मांग की थी. उस समय कोर्ट ने सभी राज्यों को नोटिस जारी करते हुए गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी थी. तब से इस मामले में उसकी गिरफ्तारी पर रोक जारी है.
सॉलीसीटर जनरल ने सुनवाई पर जताई आपत्ति
सॉलीसीटर जनरल ने बुधवार (16 अक्टूबर 2024) को भगोड़े जाकिर नाइक की याचिका पर सुनवाई पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा, "देश से फरार होने के चलते वह किसी हलफनामे में दस्तखत तक नहीं कर सकता. फिर भी सुनवाई हो रही है. इसकी कोई जरूरत नहीं. अनुच्छेद 32 के तहत किसी को सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल का अधिकार है, लेकिन इसका इस्तेमाल देश छोड़ कर भागे व्यक्ति को करने नहीं दिया जाना चाहिए."
इस पर जजों ने उनसे कहा कि वह अपनी आपत्ति को दर्ज करते हुए लिखित जवाब दाखिल करें. मामले की अगली सुनवाई बुधवार, 23 अक्टूबर को होगी. गौरतलब है कि मनी लॉन्ड्रिंग और देशविरोधी गतिविधियों का आरोप लगने के बाद 2016 में विवादित इस्लामिक धर्म उपदेशक जाकिर भारत से फरार हो गया था.
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