Supertech Twin Tower Case: सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक को एमरल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के निवेशकों के पैसे न लौटाने के लिए आड़े हाथों लिया. कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर 17 जनवरी तक फ्लैट खरीदने वालों के पैसे नहीं लौटाए गए तो कंपनी के निदेशकों को जेल भेजा जाएगा. कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी से कहा है कि वह अगली सुनवाई तक यह तय करे कि एमरल्ड कोर्ट में बने 40 और 39 मंज़िल के 2 टावरों को गिराने का ज़िम्मा किसे सौंपा जाएगा.
क्या है पूरा मामला?
पिछले साल 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा के सेक्टर 93 में एमरल्ड कोर्ट परिसर में बने सुपरटेक के एपेक्स और सियान नाम के 2 टावर गिराने का आदेश दिया था. कोर्ट ने माना था कि इन टावरों को बनाते समय सुपरटेक बिल्डर ने वहां पहले से रह रहे लोगों की सहमति नहीं ली. 950 फ्लैट वाला यह निर्माण नक्शे के हिसाब से सोसाइटी के खुले क्षेत्र में उस जगह बनाया गया, जहां से पार्क में जाने का रास्ता था. इस विशाल निर्माण से इमारतों के बीच की दूरी बहुत कम हो गई. पहले से रह रहे लोगों को रोशनी और हवा पाने में भी समस्या होने लगी.
उस दिन कोर्ट ने कहा था कि, दोनों टावरों को 3 महीने में गिराया जाए. इस काम का पूरा खर्च सुपरटेक उठाए. CBRI या किसी अन्य एक्सपर्ट एजेंसी की निगरानी में निर्माण गिराया जाए. साथ ही कोर्ट ने कहा था कि फ्लैट खरीदारों को 2 महीने में पैसे वापस दिए जाएं. उन्हें इस पर 12 प्रतिशत ब्याज मिले. इतने साल तक मुकदमा लड़ने के लिए एमरल्ड कोर्ट आरडब्ल्यूए के भी खर्चे की भरपाई की जाए. बिल्डर उन्हें 1 महीने में 2 करोड़ रुपए दे.
ताजा सुनवाई में क्या-क्या हुआ?
12 जनवरी को हुई सुनवाई में कुछ फ्लैट खरीदारों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की बेंच को बताया गया कि सुपरटेक उन्हें किश्तों में पैसे देने की बात कह रहा है. इस भुगतान में भी बिल्डर कुछ कटौतियों की बात कर रहा है. इस पर जजों ने कड़ी नाराज़गी जताई.
बेंच के अध्यक्ष जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुपरटेक के वकील से सख्त लहजे में कहा, "आप कोर्ट के आदेश के पालन में टालमटोल कर रहे हैं. आपकी कोशिश है कि किसी तरह कम भुगतान कर सकें. आपको इस रवैये के खामियाजा उठाना पड़ सकता है. 17 जनवरी तक फ्लैट खरीदारों के पूरे पैसे ब्याज समेत वापस करें, नहीं तो आपके निदेशक जेल जाने को तैयार रहें."
टॉवरों को गिराने वाली कंपनी तय करने का निर्देश
31 अगस्त के आदेश में कोर्ट ने सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) की निगरानी में सुपरटेक के दोनों टावर गिराने की बात कही थी. CBRI ने दोनों टावरों का मुआयना करने के बाद नोएडा अथॉरिटी को कई तरह के सुझाव दिए हैं. अब कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी से कहा कि वो उस विशेषज्ञ कंपनी का नाम तय करे, जिसे दोनों टावर गिराने का जिम्मा दिया जाएगा. कोर्ट ने कहा है कि 17 जनवरी को होने वाली सुनवाई से पहले अथॉरिटी उसे इस बारे में जानकारी दे.