Supreme Court Puts ED On Notice: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (20 मार्च) को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को फटकार लगाई है. कोर्ट ने आरोपियों को बिना सुनवाई के हिरासत में रखने पर ईडी की खिंचाई की. कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी लगातार चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकती और बिना सुनवाई के किसी व्यक्ति को जेल में नहीं रख सकती.


सुप्रीम कोर्ट ने किसी आरोपी को अनिश्चित काल तक जेल में रखने के लिए सप्लीमेंट्र चार्जशीट दाखिल करने पर ईडी से जवाब तलब किया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में ED को नोटिस भी देने की बात कही है.


हेमंत सोरेन के सहयोगी से जुड़ा है मामला


दरअसल, सुप्रीम कोर्ट झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के कथित सहयोगी प्रेम प्रकाश की डिफॉल्ट जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने झारखंड में कथित अवैध खनन से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एजेंसी की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया. ईडी ने इस मामले में चार सप्लीमेंट्री चार्ज शीट दाखिल की है, जिस पर कोर्ट ने आपत्ति जताई. 


सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मुकदमा शुरू हुए बिना किसी को हिरासत में नहीं रख सकते


ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल एसवी राजू से जस्टिस खन्ना ने कहा कि, "हम आपको (ईडी) नोटिस दे रहे हैं. आप मामले की जांच पूरी हुए बिना किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकते. मुकदमा शुरू हुए बिना किसी व्यक्ति को हिरासत में नहीं रखा जा सकता. यह व्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित करता है. कुछ मामलों में, हमें इस मुद्दे को सुलझाना होगा."


जस्टिस खन्ना ने कहा, "डिफॉल्ट जमानत का पूरा उद्देश्य यह है कि आप जांच पूरी होने तक गिरफ्तारी नहीं करते हैं. आप यह नहीं कह सकते कि मामले में जांच होने तक मुकदमा शुरू नहीं होगा. आप सप्लीमेंट्री चार्ज शीट दाखिल करना जारी नहीं रख सकते और व्यक्ति को बिना सुनवाई के जेल में नहीं रख सकते."


18 महीने से जेल में बंद शख्स का जिक्र करते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा, "यही बात हमें परेशान कर रही है. जब आप किसी आरोपी को गिरफ्तार करते हैं तो मुकदमा शुरू होना चाहिए. डिफॉल्ट जमानत आरोपी का अधिकार है और सप्लीमेंट्री चार्ज शीट दायर करके इसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता है.''


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