ये NSA का मामला है? सपा नेता पर कार्रवाई देख चौंका सुप्रीम कोर्ट, यूपी सरकार को लगाई फटकार
Supreme Court: समाजवादी पार्टी को बीते साल अप्रैल में पुलिस ने हिरासत में लिया था. इसके बाद उनके ऊपर एनएसए लगा दिया गया. तब से वह जेल में ही बंद हैं.
NSA On SP Leader: सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के नेता युसुफ मलिक के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाने के फैसले पर आश्चर्य जाहिर करते हुए इसे कानून का दुरुपयोग कहा है. यूसुफ मलिक के खिलाफ एक अतिरिक्त नगर आयुक्त को कथित धमकी देने के आरोप में एनएसए लगाया गया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि इस कानून को राजनीतिक मामलों में लागू नहीं किया जाना चाहिए.
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि यह अधिकारियों के दिमाग न लगाने और अनुचित प्रक्रिया का मामला है. हम काफी हैरान हैं कि संपत्ति के लिए राजस्व की वसूली के मामले एनएसए लगाया जा रहा है. इसके साथ ही कोर्ट ने एनएसए हटाने और तत्काल रिहा करने का आदेश दिया.
बीते साल अप्रैल में किया गया गिरफ्तार
मलिक को पिछले साल अप्रैल में एनएसए की धारा 3 (2) के तहत यूपी पुलिस ने हिरासत में लिया था. उनके खिलाफ सरकारी अधिकारियों को धमकाने और उनके रिश्तेदारों की संपत्ति से राजस्व की वसूली सहित उनके सरकारी कर्मचारी को ड्यूटी करने से रोकने के मामले में दो एफआईआर दर्ज की गई थी.
मलिक ने जुलाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाईकोर्ट में याचिका पर फैसला आने में देरी के चलते उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. मलिक की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील वसीम कादरी ने तर्क दिया कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया था. कादरी ने इसे राजनीतिक बदलने की कार्रवाई बताया था.
यूपी सरकार ने को लगाई फटकार
मामले में यूपी सरकार ने पीठ से आदेश पारित नहीं करने की अपील की. राज्य ने कहा कि 23 अप्रैल को मलिक की हिरासत को एक साल पूरा हो जाएगा. इसके बाद उन्हें हिरासत में नहीं रखा जा सकता है और वह 12 दिनों बाद हिरासत से बाहर आ जाएंगे.
पीठ ने राज्य की अपील को अस्वीकार कर दिया और कहा कि यह कानून का दुरुपयोग हैं. पीठ ने सोमवार को सरकार से कहा था कि या तो उन्हें तुरंत रिहा किया जाएगा या अदालत के आदेश के लिए तैयार रहें. कोर्ट ने कहा, "क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम का मामला है? राजनीतिक प्रकृति के मामलों में एनएसए का उपयोग करना दुरुपयोग है. हम खुद को टिप्पणी करने से रोक रहे हैं और सामान्य रूप से कार्यवाही को रद्द कर रहे हैं.'' पीठ ने स्पष्ट किया कि राज्य की तरफ से आगे कोई भी तर्क अधिक सख्त टिप्पणी के लिए जिम्मेदार होगा.
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