यूपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका, खाली करना होगा सरकारी बंगला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई पद छोड़ देता है उसके बाद भी उसे विशेष दर्जा देते हुए सराकरी बंगला दिया जाए तो यह समानता के अधिकार के खिलाफ है.
नई दिल्ली: लोकप्रहरी नाम के एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़ा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों तो सरकारी बंगला खाली करना होगा. यूपी में अभी मुलायम सिंह यादव, मायावती, अखिलेश यादव, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और एनडी तिवारी के पास लखनऊ में सरकारी बंगला है.
यूपी सरकार ने "उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सैलरीज़, अलाउंस एंड अदर फैसिलिटीज एक्ट 1981" में बदलाव कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को जीवन भर मुफ्त सरकारी आवास देने की व्यवस्था की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस बदलाव को मनमाना करार दिया है.
नागरिकों में अलग-2 दर्जा नहीं बना सकते सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि यह पूरी तरह से मनमाना है. अगर कोई पद छोड़ देता है उसके बाद भी उसे विशेष दर्जा देते हुए सराकरी बंगला दिया जाए तो यह समानता के अधिकार के खिलाफ है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिकों में अलग अलग दर्जा नहीं बनाया जा सकता.
सिर्फ यूपी पर लागू होगा फैसला, बाकी राज्य खुद फैसला लें कोर्ट ने आज के अपने आदेश में साफ किया है यह सिर्फ उत्तर प्रदेश के कानून के खिलाफ है. दरअसल सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम को एमिकस क्यूरी बनाते हुए उनसे सलाह मांगी. एमिकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्रियों के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी सरकारी बंगला देने को गलत बताया. हालांकि, मामले में फैसला सुरक्षित रखते वक्त जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने साफ कर दिया कि उसका फैसला सिर्फ यूपी के कानून को दी गयी चुनौती तक सीमित होगा. आज सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के आलोक में सभी राज्यों पर फैसला लेने की जिम्मेदारी है.
यूपी सरकार को दूसरी बार लगा झटका उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला देने के लिए एक नीति बनाई गई थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में मनमाना बताते हुए रद्द कर दिया था. इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने दोबारा कानून बना दिया. आज सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून की वैध्यता को भी खत्म कर दिया.