'सनी लियोनी, तमन्ना भाटिया करती हैं प्रचार और ठगे जा रहे इंडियंस', ऑनलाइन गेमिंग को लेकर याचिकाकर्ता की दलील पर क्या बोला SC?
याचिकाकर्ता ने इस तरह की तमाम कंपनियों को ब्लैक लिस्ट किए जाने की मांग की है. उसने बताया कि करीब 10 साल पहले वो भी ऑनलाइन गेमिंग में फंसकर 16 लाख रुपये गंवा चुका है.

ऑनलाइन गेमिंग के खिलाफ एक याचिका को सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. याचिकाकर्ता ने बहुत सारी ऐसी वेबसाइट्स का हवाला दिया था, जिनमें लोगों से अपने पैसे लगाकर भाग्य आजमाने के लिए कहा जाता है. याचिका में सनी लियोनी, काजल अग्रवाल, तमन्ना भाटिया, मिमी चक्रवर्ती जैसी मनोरंजन जगत की कई हस्तियों को भी पक्ष बनाया गया था. याचिकाकर्ता ने कहा था कि ये सभी लोग ऐसी वेबसाइट्स का प्रचार कर रहे हैं. इससे हर दिन हजारों मासूम लोग इनमें पैसे गंवा रहे हैं.
हैदराबाद के रहने वाले शेख रहीम ने बताया था कि 2016 में उन्होंने भी ऑनलाइन गेम में किस्मत आजमाने के चक्कर में 16 लाख रुपए गंवा दिए थे. उसके बाद जब उन्होंने पड़ताल की तो यह पता चला कि इस तरह की वेबसाइट्स हर दिन लोगों से लाखों करोड़ रुपए जुटा रही हैं. इसमें से कई कंपनियां विदेशी हैं. इस तरह भारत का पैसा देश से बाहर भी जा रहा है.
याचिका में बताया गया था कि जब भी किसी बैंक अकाउंट में संदिग्ध लेनदेन होता है, तब बैंकों का कर्तव्य होता है कि वह उसकी जांच करें. इसके बाद बैंक को ऐसे अकाउंट पर रोक लगानी होती है, लेकिन भारत में तमाम बैंक ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को अकाउंट चलाने दे रहे हैं. हर घंटे उन अकाउंट में भारी मात्रा में पैसे जमा होते हैं, लेकिन बैंक कभी उनकी जांच नहीं करते. सरकार भी ऐसी वेबसाइट्स पर रोक नहीं लगा रही है.
याचिका में यह मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार से कहे कि वह इस तरह की तमाम कंपनियों को ब्लैक लिस्ट कर दे. अपनी याचिका की पैरवी के लिए याचिकाकर्ता खुद ही चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने पेश हुआ. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने उससे सवाल किया कि जब वह पहले खुद गेम खेला करता था तो अब उसके विरुद्ध क्यों हो गया है? याचिकाकर्ता ने जवाब दिया कि वह देश के सभी लोगों को ऐसी बुरी लत से बचाना चाहता है.
याचिका की फाइल को पढ़ाते हुए जजों ने पाया कि शेख रहीम ने पहले दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिकाकर्ता ने कहा कि हाई कोर्ट ने इन वेबसाइट को बंद करने का आदेश देने में दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन बाद में याचिका को केंद्र सरकार के आईटी मंत्रालय के पास एक ज्ञापन के रूप में भेज दिया था. चूंकि सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की, इसलिए अब वह सुप्रीम कोर्ट आया है. इस पर चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, 'अगर ऐसा है तो आप दोबारा हाई कोर्ट जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट इस मामले को नहीं सुनेगा.'
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