Supreme Court: असम के प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर के रखरखाव पर एससी ने जताई चिंता, मंदिर प्रबंधन को कदम उठाने के लिए कहा
असम के कामाख्या मंदिर में रखरखाव को लेकर एससी में कुछ लोगों ने चिट्ठी के जरिए मंदिर में अव्यवस्था और गंदगी की शिकायत की है. इस पर कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन को उचित कदम उठाने को कहा है.
Supreme Court of India: असम (Assam) के प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) के रखरखाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा है कि वहां सफाई का सही तरीके से ध्यान रखा नहीं जा रहा है. इस तीर्थ स्थान के महत्व और वहां आने वाले श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या के मद्देनजर इस व्यवस्था को सुधारने की जरूरत है. कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ मामले की सुनवाई जनवरी, 2023 तक के लिए टाल दी है.
कामाख्या मंदिर के रखरखाव से जुड़ा कानूनी मामला काफी पुराना है. ऐतिहासिक रूप से इस जगह का प्रबंधन बोरदियूरी समाज के पुजारी करते आ रहे हैं. 90 के दशक में इस समाज के 2 गुटों में मुख्य पुजारी के चुनाव को लेकर तनातनी हुई. मंदिर पर पहले से काबिज गुट ने 1998 में असम देबत्तर बोर्ड नाम की संस्था का गठन किया और प्रबंधन अपने पास बनाए रखा. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 2015 में सुप्रीम कोर्ट इस बोर्ड को भंग कर दिया और नियंत्रण वापस बोरदियूरी समाज को सौंप दिया.
एससी को अज्ञात व्यक्तियों ने दी थी शिकायत
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी दोनों पक्षों में खींचतान बरकरार है. 2017 में मंदिर के मुख्य पुजारी कबिन्द्र प्रसाद सरमा ने याचिका दाखिल कर असम देबत्तर बोर्ड पर कई आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि मंदिर की कई अचल संपत्तियों पर अब तक बोर्ड से जुड़े लोगों का नियंत्रण है. उन्होंने हिसाब का बही खाता भी अब तक नहीं सौंपा है. अब सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी के ज़रिए कुछ लोगों ने मंदिर में अव्यवस्था और गंदगी की शिकायत की है.
सफाई का क्यों नहीं रखा जा रहा है ध्यान?
आज इस मामले को जस्टिस अजय रस्तोगी और सी टी रविकुमार की की बेंच ने सुना. जस्टिस अजय रस्तोगी ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मैं कुछ समय पहले छुट्टियों के दौरान मंदिर में दर्शन के लिए गया था. मैं व्यक्तिगत अनुभव से कह सकता हूं कि वहां पर स्वच्छता का पूरी तरह से ध्यान नहीं रखा जा रहा है. मैं समझता हूं कि इस पहलू से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है.
क्या बोले मंदिर पक्ष के वकील
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर मंदिर प्रबंधन के लिए पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि प्रबंधन इसे लेकर चिंतित है. आईआईटी के विशेषज्ञों की भी इस मामले में सहायता ली जा रही है. कोर्ट ने कहा कि बेहतर हो कि मामले से जुड़े सभी पक्ष इस विषय की गंभीरता को समझें और आपस में एक सहमति बनाकर इसका हल करें. इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने सुनवाई अगले साल जनवरी के लिए टाल दी है.