Supreme Court Schooled ED: सुप्रीम कोर्ट ने धनशोधन के मामलों में दोषसिद्धि की कम दर का हवाला देते हुए बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से अभियोजन और साक्ष्य की गुणवत्ता पर ध्यान देने को कहा. जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने संसद में दिए गए एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि ईडी को दोषसिद्धि दर बढ़ाने के लिए कुछ वैज्ञानिक जांच करनी चाहिए.


केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 6 अगस्त 2024 को लोकसभा को बताया कि ईडी ने 2014 से 2024 के बीच धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कुल 5,297 मामले दर्ज किए, जबकि 40 मामलों में दोषसिद्धि सुनिश्चित की गई.


सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के एक व्यवसायी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. व्यापारी को कोयला परिवहन पर अवैध शुल्क से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था.


'आपको अदालत में मामला साबित करने की है जरूरत'


पीठ ने ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू से कहा, ‘‘आपको अभियोजन पक्ष और साक्ष्य की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. जिन मामलों में आप इस बात से संतुष्ट हैं कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है, आपको उन्हें अदालत में साबित करने की आवश्यकता है.’’


'भगवान ही जाने कि कल वह...'


सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘‘इस मामले में आप कुछ गवाहों द्वारा दिए गए बयानों, हलफनामों पर जोर दे रहे हैं. इस तरह के मौखिक साक्ष्य... भगवान ही जाने कि कल वह व्यक्ति इस (बयानों) के साथ खड़ा होगा या नहीं. आपको कुछ वैज्ञानिक जांच करनी चाहिए.’’ राजू ने दलील दी कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 161 के विपरीत, धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 50 के तहत बयानों को साक्ष्य माना जाता है.


इस पर, जस्टिस दत्ता ने कहा कि पीएमएलए की धारा 19 के तहत, गिरफ्तार करने वाले अधिकारी को आरोपी को यह बताने की आवश्यकता होती है कि अपराध में उसकी संलिप्तता पर ‘‘विश्वास करने के कारण’’ क्या हैं और उन्होंने एएसजी से पूछा कि क्या उन्हें लगता है कि वर्तमान मामले में गिरफ्तारी का आदेश बरकरार रहने लायक है.


वकील ने दिया केजरीवाल के मामले का उदाहरण


याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मामले में शीर्ष अदालत ने कहा था कि आरोपी को गिरफ्तारी के आधार के अलावा यह भी बताया जाना चाहिए कि अपराध में उसकी संलिप्तता पर ‘‘विश्वास करने के कारण’’ क्या हैं. रोहतगी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, गिरफ्तारी की आवश्यकता भी होनी चाहिए.


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