नई दिल्ली: कोरोना के आरटीपीसीआर (RTPCR) टेस्ट की कीमत पूरे देश में एक समान करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि इस टेस्ट की कीमत लगभग 400 रुपए होनी चाहिए. लेकिन अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कीमत वसूली जा रही है, जो कि 900 से लेकर 3200 रुपए तक है.
याचिकाकर्ता अजय अग्रवाल ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया था कि फार्मा कंपनी वॉकहारड्ट ने उन्हें आरटीपीसीआर टेस्ट किट की कीमत 199 रुपए बताई है. उसमें भी कंपनी ने थोक में खरीदारी पर 25 रुपए की रियायत का प्रस्ताव दिया है. याचिकाकर्ता की दलील थी कि किट के अलावा इस्तेमाल होने वाली मशीनें लैब में पहले से होती हैं. ऐसे में टेस्ट की कीमत 900 रुपए से लेकर 3200 रुपए तक होना सरासर लूट है.
याचिकाकर्ता का कहना था कि पहले टेस्ट लैब आरटीपीसीआर किट 800 से 900 रुपए तक में खरीद रहे थे. उस दौरान राज्य सरकारों ने टेस्ट की जो कीमतें तय की थीं, उन्हें आज तक नहीं बदला गया है. यह कीमतें पहले भी बहुत ज्यादा थीं. लेकिन अब तो लोगों के साथ पूरी तरह से ठगी हो रही है. टेस्ट लैब चलाने वालों ने देश के 135 करोड़ लोगों के सामने आई आपदा को अपने लिए पैसा कमाने का अवसर बना लिया है.
याचिका में कहा गया था कि नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के प्रावधानों के तहत केंद्र सरकार को राज्यों को यह निर्देश देने का अधिकार है कि वह आरटीपीसीआर टेस्ट की कीमत क्या रखें. इसलिए, कोर्ट केंद्र सरकार से राज्यों को ऐसा निर्देश देने के लिए कहे.
आज मामला चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच में लगा. जजों ने मामले को अहम मानते हुए सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले पहले से जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने लंबित हैं. यह मामला भी आगे वही लगेगा. कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए 2 हफ्ते का समय दिया है.