सांसद या विधायक वोटिंग के लिए रिश्वत लें तो क्या तब भी नहीं चलेगा मुकदमा? SC ने संविधान पीठ को सौंपा मामला
Supreme Court: सांसदों और विधायकों के सदन में वोट देने के लिए रिश्वत लेने के मामलें में मुकदमा चलाने से छूट देने को लेकर सात सदस्यीय बेंच पुनर्विचार करेगी.
Supreme Court News: सांसदों और विधायकों के विशेषाधिकार से जुड़े एक अहम सवाल को सुप्रीम कोर्ट ने 7 जजों की संविधान पीठ को बुधवार (20 सितंबर) को सौंप दिया. कोर्ट यह तय करेगा कि अगर सांसद या विधायक सदन में मतदान और भाषण के लिए रिश्वत लेते हैं तो क्या तब भी उस पर मुकदमा नहीं चलेगा?
साल 1998 का नरसिम्हा राव फैसला सांसदों को मुकदमे से छूट देता है. इसी फैसले पर दोबारा विचार होगा. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि वह मामले पर नए सिरे से सुनवाई के लिए सात सदस्यीय बेंच गठित करेगी.
साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
साल 2019 में तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने इस अहम प्रश्न को पांच सदस्यीय पीठ के पास भेजते हुए कहा था कि इसके व्यापक प्रभाव हैं. यह सार्वजनिक महत्व का सवाल है. तीन सदस्यीय पीठ ने तब कहा था कि वह झारखंड में जामा निर्वाचन क्षेत्र से झारखंड मुक्ति मोर्चा की विधायक सीता सेारेन की अपील पर सनसनीखेज झामुमो रिश्वत मामले में अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी.
मामला क्या है?
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने पीवी नरसिम्हा राव बनाम सीबीआई मामले में 1998 में दिए अपने फैसले में कहा था कि सांसदों को सदन के भीतर कोई भी भाषण और वोट देने के लिए आपराधिक मुकदमा चलाने से संविधान में छूट मिली हुई है.
इनपुट भाषा से भी.
ये भी पढ़ें- '...ये क्या है?', एक संवैधानिक धर्म की याचिका पर जब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा