Arya Samaj Marriage Certificate: आर्य समाज को विवाह प्रमाण-पत्र जारी करने का है अधिकार? सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बड़ी बात
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने आर्य समाज के विवाह प्रमाण-पत्र को अवैध करार देते हुए कहा कि आर्य समाज को विवाह प्रमाण-पत्र जारी करने का कोई अधिकार नहीं है.
Arya Samaj Marriage Certificate: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि आर्य समाज (Arya Samaj) के पास विवाह प्रमाणपत्र (Marriage Certificate) जारी करने का कोई अधिकार नहीं है और इसके साथ ही एक नाबालिग लड़की (Minor Girl) के अपहरण और बलात्कार के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी. न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की अवकाशकालीन पीठ ने आरोपी के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि लड़की बालिग है और उन्होंने एक आर्य समाज मंदिर में शादी की है और इससे संबंधित विवाह प्रमाण पत्र रिकॉर्ड पर रखा जा चुका है.
पीठ ने कहा कि आर्य समाज के पास विवाह प्रमाणपत्र (Arya Samaj Marriage Certificate) जारी करने का कोई अधिकार नहीं है. ये अधिकारियों का काम है. शिकायतकर्ता लड़की की ओर से पेश अधिवक्ता ऋषि मटोलिया ‘कैविएट याचिका’ के मद्देनजर पेश हुए और कहा कि लड़की ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत दर्ज कराए गए अपने बयान में आरोपी के खिलाफ बलात्कार के विशिष्ट आरोप लगाए हैं.
राजस्थान हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका की थी खारिज
इसके बाद पीठ ने आरोपी की याचिका खारिज कर दी. राजस्थान हाईकोर्ट ने पांच मई को आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 363, 366ए, 384, 376(2)(एन) और 384 व यौन अपरापध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा पांच के तहत दंडनीय अपराध के लिए नागौर स्थित पादुकलां थाना क्षेत्र में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी, जिसके आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया था.
आर्य समाज मंदिर में शादी की कही गई थी बात
उच्च न्यायालय के समक्ष आरोपी के वकील ने तर्क दिया था कि प्राथमिकी डेढ़ साल की देरी से दर्ज की गई है और प्राथमिकी दर्ज करने में उक्त देरी के बारे में शिकायतकर्ता ने कोई स्पष्टीकरण भी नहीं दिया है. उन्होंने कहा था कि अभियोक्ता एक बालिग लड़की है और आरोपी और अभियोक्ता के बीच शादी पहले ही 'आर्य समाज' मंदिर में हो चुकी है और शादी का प्रमाण पत्र भी रिकॉर्ड पर उपलब्ध है.
इससे पहले भी दिए गए थे निर्देश
उच्च न्यायालय ने कहा था कि अभियोक्ता ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज अपने बयान में याचिकाकर्ता के खिलाफ बलात्कार (Rape) का एक विशिष्ट आरोप लगाया है. ये भी कहा गया था कि लड़की ने बयान दिया था कि आरोपी ने एक कोरे कागज पर उसके हस्ताक्षर लिये थे और घटना का एक वीडियो भी तैयार किया था. गौरतलब है कि शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने चार अप्रैल को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमें आर्य समाज (Arya Samaj) को विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के प्रावधानों के अनुसार विवाह करवाने का निर्देश दिया गया था.
ये भी पढ़ें-