नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम अवधि बढ़ाने से मना किया. कोर्ट ने यह भी कहा है कि मोरेटोरियम अवधि के लिए पूरा ब्याज माफ नहीं किया जा सकता है. लेकिन कोर्ट ने औद्योगिक क्षेत्र को बड़ी राहत दी. 3 जजों की बेंच ने बड़े लोन के लिए भी चक्रवृद्धि ब्याज न लेने का आदेश दिया है. इससे पहले यह लाभ सिर्फ 2 करोड़ रुपए तक का कर्ज लेने वालों को दी गई थी.


अलग-अलग औद्योगिक क्षेत्रों ने कोरोना काल मे अपनी हालत खराब बताते हुए विशेष राहत की मांग की थी. लेकिन जस्टिस अशोक भूषण, एम आर शाह और आर सुभाष रेड्डी की बेंच ने इस बारे में अलग से कोई आदेश देने से मना कर दिया. जजों ने कहा, "सरकार के पास अपने आर्थिक विशेषज्ञ हैं. वह हालात के हिसाब से निर्णय ले रहे हैं. हम इसमें दखल देने की ज़रूरत नहीं समझते. हम सरकार के आर्थिक सलाहकार नहीं है. यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि कोविड के दौरान सरकार को भी कम टैक्स मिला है."


कोर्ट ने मोरेटोरियम अवधि को 31 अगस्त से आगे बढ़ाने से मना किया. यह भी कहा कि मोरेटोरियम के लिए पूरा ब्याज माफ करने की मांग सही नहीं है. अगर ऐसा किया गया तो बैंकों पर बहुत बुरा असर पड़ेगा.


तीनों जजों के साझा फैसला पढ़ रहे जस्टिस एम आर शाह ने कहा, "सरकार 1 मार्च से 31 अगस्त, 2020 तक रहे मोरेटोरियम अवधि के लिए छोटे कर्जदारों का चक्रवृद्धि ब्याज माफ किया है. लेकिन हम इस बात का कोई आधार नहीं देखते कि चक्रवृद्धि ब्याज से छूट सिर्फ 2 करोड़ रुपए तक का लोन लेने वाले लोगों को मिले. यह छूट सब पर लागू होनी चाहिए. 6 महीने की मोरेटोरियम अवधि के लिए किसी से ब्याज पर ब्याज नहीं लिया जाएगा. अगर ले लिया गया है तो उसे लौटाने या एडजस्ट करने की व्यवस्था बनाई जाए."


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