(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
लव जिहाद के खिलाफ बने कानून को चुनौती देने वाली याचिका खारिज, SC ने कहा- हाई कोर्ट जाइए
मध्य प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश जनवरी में अस्तित्व में आया है. इस कानून के तहत बहला फुसलाकर धर्म परिवर्तन कराकर विवाह करने या करवाने वाले को एक से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है.
नई दिल्ली: गैरकानूनी धर्म परिवर्तन और लव जिहाद के खिलाफ बने मध्य प्रदेश के कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा, 'हम इस तरह के दूसरे याचिकाकर्ताओं को भी पहले हाई कोर्ट जाने को कह चुके हैं. आप भी वहां जाइए. सीधे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की मांग सही नहीं.'
सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर नोटिस जारी कर चुका है जिनमें एक से ज़्यादा राज्यों के मिलते-जुलते कानून को चुनौती दी गई है. लेकिन सिर्फ एक राज्य तक सीमित याचिकाओं को हाई कोर्ट जाने के लिए कह रहा है.
कोर्ट ने 6 जनवरी को यूपी और उत्तराखंड के कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था. फिर मध्य प्रदेश के कानून को भी चुनौती दी गई. उसे सम्मान के साथ जीवन जीने और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हनन बताया गया है.
MP में लव जिहाद के 23 मामले सामने आए मध्य प्रदेश धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए अध्यादेश लागू हुए एक माह हो चुका है और इस अवधि में लव जिहाद के 23 मामले सामने आए हैं. राज्य के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि बीते एक माह की अवधि में राज्य में 23 मामले धर्म अध्यादेश के तहत आए हैं. इनमें सबसे ज्यादा मामले सात भोपाल संभाग में सामने आए हैं. इसके अलावा जबलपुर व रीवा में चार-चार और ग्वालियर में तीन मामले दर्ज किए गए हैं.
बता दें, राज्य में धर्म स्वातं˜य अध्यादेश जनवरी में अस्तित्व में आया है. इस कानून के तहत बहला फुसलाकर धर्म परिवर्तन कराकर विवाह करने या करवाने वाले को एक से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है.
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