'द केरला स्टोरी' के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका, फिल्म को रिलीज़ होने से रोकने की मांग
निर्माता विपुल अमृतलाल शाह, निर्देशक सुदीप्तो सेन और अभिनेत्री अदा शर्मा की फ़िल्म 'द केरला स्टोरी' 5 मई को रिलीज होने जा रही है. फ़िल्म के निर्माता इसे सच्ची घटनाओं पर आधारित बता रहे हैं.
बड़े स्क्रीन पर प्रदर्शन से पहले ही चर्चा में आ चुकी फिल्म 'द केरला स्टोरी' का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. फिल्म को एक समुदाय विशेष के खिलाफ नफरत फैलाने वाला बताते हुए इसकी रिलीज रोकने की मांग की गई है. मामला आज जस्टिस के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने रखा गया. लेकिन जस्टिस जोसेफ ने कहा कि याचिकाकर्ता को चीफ जस्टिस के पास जाना चाहिए. ऐसे में बुधवार को याचिका चीफ जस्टिस के सामने रखी जा सकती है.
निर्माता विपुल अमृतलाल शाह, निर्देशक सुदीप्तो सेन और अभिनेत्री अदा शर्मा की फ़िल्म 'द केरला स्टोरी' 5 मई को रिलीज होने जा रही है. फ़िल्म के निर्माता इसे सच्ची घटनाओं पर आधारित बता रहे हैं. इसमें केरल की ऐसी 32 हज़ार लड़कियों की बात कही गई है, जो गायब हैं. जिनका कथित रूप से लव जिहाद के ज़रिए धर्म परिवर्तन कर दिया गया और आतंकी संगठन 'इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS)' की गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए भारत से बाहर भेज दिया गया.
फ़िल्म के ट्रेलर को अब तक करोडों लोग यूट्यूब पर देख चुके हैं. केरल की मुख्य राजनीतिक पार्टियां सीपीएम और कांग्रेस लगातार फ़िल्म को झूठा बताते हुए विरोध कर रही हैं. इस बीच पत्रकार कुर्बान अली ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है. इस याचिका को वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और वकील निज़ाम पाशा ने जस्टिस के एम जोसेफ और बी वी नागरत्ना की बेंच के सामने रखा. यह बेंच नफरत फैलाने वाले बयानों के खिलाफ लंबित याचिकाओं की सुनवाई कर रही है. सिब्बल की मांग थी कि कुर्बान अली की याचिका को उसी मामले के साथ जोड़ कर तुरंत सुना जाए.
जस्टिस के एम जोसफ ने सिब्बल और पाशा की बात थोड़ी देर सुनने के बाद कहा, "फ़िल्म को वैधानिक प्रमाणपत्र मिल गया है. आप अगर फ़िल्म का प्रदर्शन रुकवाना चाहते हैं, तो उस सर्टिफिकेट को हाई कोर्ट में चुनौती देनी चाहिए." इस पर सिब्बल ने कहा कि फ़िल्म के रिलीज़ होने में बहुत कम समय बचा है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. इस पर जस्टिस बी वी नागरत्ना ने कहा, "हर मामला सीधे सुप्रीम कोर्ट नहीं लाना चाहिए."
जजों ने मामले में सीधे दखल देने से मना करते हुए कहा कि अगर याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चाहते हैं तो उन्हें चीफ जस्टिस के सामने अपनी बात रखनी चाहिए. इस पर सिब्बल ने कहा कि वह याचिका में ज़रूरी संशोधन कर के उसे आज ही दोबारा दाखिल करेंगे और जल्द सुनवाई के लिए कल चीफ जस्टिस से अनुरोध करेंगे.