नई दिल्ली: महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है. हिंदू महासभा नेता प्रमोद जोशी की याचिका में कहा गया है कि चुनाव पूर्व गठबंधन तोड़ नए गठबंधन (कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना) का सरकार बनाना वोटर के साथ धोखा है. उसके CM (उद्धव ठाकरे) को शपथ लेने से रोका जाए.
24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजों की घोषणा की गई थी. सूबे में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. चुनाव में शिवसेना-बीजेपी और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन कर चुनाव लड़ी थी. लेकिन चुनाव बाद मुख्यमंत्री पद की मांग करते हुए शिवसेना ने बीजेपी से 30 साल पुराना गठबंधन तोड़ लिया और कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बनाने की कवायद शुरू की.
बातचीत चल ही रही थी कि 23 नवंबर को अचानक बीजेपी ने एनसीपी के बागी नेता अजित पवार के सहयोग से सरकार बना ली. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 23 नवंबर की सुबह करीब साढ़े सात बजे देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई.
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कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना ने राज्यपाल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. शीर्ष अदालत ने राज्यपाल से आज शाम तक बहुमत परीक्षण कराए जाने का आदेश दिया. लेकिन बहुमत से दूर होता देख देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने पद से इस्तीफा दे दिया. अब एक बार फिर कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना सरकार बनाने जा रही है. तीनों दलों ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को नेता चुना है. ठाकरे कल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.
महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की जरूरत होती है. चुनाव में बीजेपी ने 105, शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की है. बाकी बचे सीटों पर अन्य छोटे दलों और निर्दलीय का कब्जा है.
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