नई दिल्लीः हरियाणा के मेवात इलाके में हिंदुओं के शोषण, उन्हें पलायन के लिए मजबूर करने और जनसंख्या संतुलन बिगाड़ने की शिकायत करने वाली याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. वकील रंजना अग्निहोत्री समेत कई और याचिकाकर्ताओं ने इसे तब्लीगी जमात और दूसरे कट्टरपंथी संगठनों के कहने पर चल रही साज़िश बताया था.
याचिका में कहा गया है कि इलाके के 431 गांवों में से 103 गांवों में 1 भी हिंदू नहीं बचा है. 82 गांव ऐसे हैं जिनमें सिर्फ 4-5 हिंदू परिवार हैं. 2011 में 20 प्रतिशत हिंदू जनसंख्या थी. यह घट कर 10-11 प्रतिशत ही रह गई है. योजनाबद्ध तरीके से हिंदुओं को परेशान किया जा रहा है. बड़े पैमाने पर हिंदू लड़कियों को दबाव देकर अंतर्धार्मिक विवाह के लिए मजबूर किया जा रहा है. कोर्ट पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी बनाए.
याचिका में यह मांग भी की गई थी कि कोर्ट पिछले 10 साल में हिंदुओं की तरफ से मुसलमानों को बेची गई संपत्ति का हर सौदा अमान्य करार दे. याचिकाकर्ताओं ने यह भी बताया था कि इलाके में बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय हिंदुओं के बुनियादी अधिकारों का हनन कर रहा है. पुलिस सभी मामलों में निष्क्रिय बनी रहती है. सुप्रीम कोर्ट लोगों के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए मामले में दखल दे.
वकील विष्णु शंकर जैन के ज़रिए दाखिल याचिका की पैरवी करने के लिए वरिष्ठ वकील विकास सिंह पेश हुए. लेकिन सुनवाई की शुरुआत में ही चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस ए एस बोपन्ना और ऋषिकेश रॉय की बेंच ने कह दिया कि वह अखबारों में छपी खबरों के आधार पर दाखिल इस याचिका को नहीं सुनेंगे. विकास ने दलील दी कि मामले के सभी याचिकाकर्ता पेशे से वकील हैं. उनमें से 2 ने खुद उस इलाके का दौरा कर वहां की स्थिति का अध्ययन किया है. वह एकतरफा प्रेम मामले में मारी गई निकिता तोमर समेत कई अन्य पीड़ितों के परिवार से मिले हैं. लेकिन बेंच इन बातों से आश्वस्त नहीं हुई. जजों ने सुनवाई से मना करते हुए याचिका खारिज कर दी.
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