Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने गाजियाबाद में प्रस्तावित धर्म संसद को लेकर दाखिल अवमानना याचिका सुनने से मना कर दिया और याचिकाकर्ताओं से हाई कोर्ट जाने को कहा.  दरअसल, अरुणा राय और कुछ दूसरे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गाज़ियाबाद प्रशासन पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए यह याचिका दाखिल की थी.


याचिका में अंदेशा जताया गया था कि 17 से 21 दिसंबर के बीच होने वाले इस कार्यक्रम में मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए जाएंगे. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की याचिका सीधे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल नहीं होनी चाहिए. गौरतलब है कि गाज़ियाबाद प्रशासन ने इस कार्यक्रम को इजाज़त नहीं दी. 


क्या है मामला?
गाजियाबाद में धर्म संसद का आयोजन तथाकथित रूप से धार्मिक मुद्दों और हिंदुत्व को लेकर चर्चा करने के लिए किया जा रहा था. याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि इस कार्यक्रम में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भड़काऊ और हिंसात्मक भाषण दिए जा सकते हैं, जिससे समाज में तनाव बढ़ सकता है. गाजियाबाद प्रशासन ने कार्यक्रम के लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया.


सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में गाजियाबाद प्रशासन पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ताओं से संबंधित हाई कोर्ट जाने को कहा. चीफ जस्टिस ने कहा "इस तरह की याचिकाएं सीधे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल नहीं होनी चाहिए। यह मामला पहले हाई कोर्ट के पास जाना चाहिए."


आयोजन स्थल में बदलाव
गाजियाबाद प्रशासन से अनुमति नहीं मिलने के बाद आयोजक धर्म संसद को अब हरिद्वार में करने की बात कह रहे हैं. इस मामले बवाल बढ़ता ही जा रहा है, जहां एक ओर इसे धार्मिक स्वतंत्रता का मामला बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे समाज में विभाजन का कारण मानते हुए विरोध किया जा रहा है.


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