इनकम टैक्स की TDS व्यवस्था को खत्म करने पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, नियोक्ता कंपनी पर गैरजरूरी बोझ पड़ने की दी गई थी दलील
सुप्रीम कोर्ट ने TDS सिस्टम को रद्द किए जाने की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने इसे लेकर कहा है कि याचिकाकर्ता इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट जा सकता है.
Supreme Court On TDS System Petition: इनकम टैक्स के TDS सिस्टम को खत्म करने की मांग वाली याचिका सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका को खारिज करते हुए उसे कमजोर तरीके से लिखी गई बताया. चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिका मुद्दे को स्पष्टता से नहीं रख पाई है. हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि वह चाहें तो हाई कोर्ट जा सकते हैं.
TDS यानी टैक्स डिडक्शन एट सोर्स सिस्टम में आय की शुरुआत में ही उसे पाने वाले का एडवांस टैक्स काट लिया जाता है. याचिकाकर्ता का कहना था कि नियोक्ता कंपनी या व्यक्ति पर दूसरे का टैक्स काट कर जमा करवाने का बोझ सरकार नहीं डाल सकती. उसे किसी दूसरी व्यवस्था पर विचार करना चाहिए. याचिका में TDS सिस्टम को संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21 और 23 के खिलाफ बताया गया था.
याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता का कहना था कि TDS नियोक्ता पर जबरन थोपी गई जिम्मेदारी है. उसे न सिर्फ टैक्स डिडक्शन के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की नियुक्ति करनी पड़ती है, बल्कि किसी कमी के लिए दंड भी भोगना पड़ता है. आयकर करदाता और सरकार के बीच का विषय है. कई बार करदाता टैक्स चुका देता है, फिर भी उसके नियोक्ता पर गलत आकलन के लिए जुर्माना लग जाता है. सरकार को सीधे कर वसूली के लिए कोई अलग व्यवस्था बनानी चाहिए.
चीफ जस्टिस ने याचिका को बताया कमजोर
अपनी याचिका की पैरवी के लिए अश्विनी उपाध्याय खुद चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने पेश हुए. सुनवाई की शुरुआत में ही चीफ जस्टिस ने इसे कमजोर तरीके से लिखी गई याचिका बता दिया. चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिका ने विषय को सिर्फ छुआ भर है, उससे जुड़े कानूनी प्रश्नों को स्पष्टता से रख नहीं पाई है. उपाध्याय ने याचिका के कुछ अंश पढ़ने की अनुमति मांगी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि TDS व्यवस्था को पहले कुछ हाई कोर्ट सही ठहरा चुके हैं. बेहतर होगा कि याचिकाकर्ता इसे उचित हाई कोर्ट के सामने उठाए.
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