Supreme Court Hearing on Indian Bills: संसद (Parliament) या विधानसभा (State Assembly) में कोई विधेयक (Bill) पेश करने से दो महीने पहले उसका ड्राफ्ट सार्वजनिक करने की मांग पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मना कर दिया. कोर्ट ने कहा है कि कानून (Laws) पर लोगों के बीच चर्चा से फायदा हो सकता है, लेकिन हम सरकार को निर्देश नहीं दे सकते कि वह सदन में पेश करने से पहले विधेयक को लोगों के बीच रखे. कोर्ट ने उम्मीद जताई कि कानून पारित हो जाने के बाद उसे हर भाषा में लोगों तक पहुंचाया जाएगा ताकि वे उसे समझ सकें.


याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की याचिका में वापस लिए जा चुके कृषि कानूनों का भी हवाला दिया गया था. उपाध्याय की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण ने दलील दी कि जल्दबाजी में बने कानून कई बार उपयोगी साबित नहीं होते. अगर कानून का ड्राफ्ट लोगों के सामने होगा तो उस पर चर्चा होगी. उस दौरान लोगों की तरफ से आए सुझाव से जनप्रतिनिधियों को मदद मिलेगी. इसके अलावा यह जरूरी है कि लोग जान सकें कि उनके लिए किस तरह का कानून बनाया जा रहा है.


सीजेआई यूयू ललित ने कही ये बात


दो जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे हैं चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित ने कहा, "कई बार नियम-कानून बनाने से पहले लोगों से सुझाव मांगे जाते हैं. शहरी प्लानिंग जैसे विषय में ऐसा होता है लेकिन बजट समेत कई विधेयक संसद या विधानसभा में रखे जाते हैं, जिन्हें पहले सार्वजनिक नहीं किया जा सकता." इसका जवाब देते हुए शंकरनारायण ने कहा, "जिन विषयों को गोपनीय रखा जाना जरूरी है, उन्हें पहले सार्वजनिक करने की मांग नहीं की जा रही है लेकिन जिन कानूनों के मामले में ऐसा नहीं है, उन्हें लोगों के सामने पहले रखा जाना चाहिए."


चीफ जस्टिस ने और क्या कहा?


चीफ जस्टिस ने इस बात को माना कि सार्वजनिक चर्चा से बेहतर कानून बनाने में मदद मिल सकती है, लेकिन उनका कहना था कि कोर्ट सरकार को यह निर्देश नहीं दे सकता. सरकार से यह नहीं कहा जा सकता कि संसद या विधानसभा में कानून लाने से पहले उसे सार्वजनिक कर दें.


कोर्ट ने कहा कि याचिका में रखी गई दूसरी मांग ज्यादा विचारणीय है. इसमें कहा गया है कि कानून बनने के बाद उसे हर भाषा में प्रकाशित किया जाए, जिससे लोग उसे समझ सकें. हालांकि, कोर्ट ने इसका आदेश देना भी जरूरी नहीं समझा. चीफ जस्टिस ने कहा, "हम उम्मीद कर सकते हैं कि भविष्य में कानून को लोगों तक सामान्य पहुंचाया जाए और बताया जाए कि उसमें क्या लिखा है."


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