Supreme Court On Taj Mahal: ताजमहल के निर्माण के बारे में अब तक गलत जानकारी दिए जाने का दावा करने वाली याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मना कर दिया है. जजों ने कहा कि किसी इमारत की आयु का पता लगाना कोर्ट का काम नहीं है. याचिकाकर्ता आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को इसके लिए ज्ञापन दे सकता है.


याचिकाकर्ता सुरजीत सिंह यादव का कहना था कि उसने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और नेशनल आर्काइव से RTI के ज़रिए पूछा था कि ताजमहल किसने बनाया? कितने समय और पैसों में बनाया? जवाब में दोनों संस्थाओं ने कहा कि यह अनुसंधान का विषय है. जब भारत सरकार के पास यह ताजमहल के निर्माण पर सबूत नहीं है,  तो स्कूल की किताबों में और अन्य संस्थानों में यह शिक्षा नहीं दी जानी चाहिए कि उसे शाहजहां ने बनवाया था.


किताब पदशाहनामा का दिया हवाला...


याचिकाकर्ता के वकील बरुन सिन्हा ने शाहजहां के आदेश पर उनके जीवनकाल में अब्दुल हामिद लाहौरी की लिखी किताब पदशाहनामा का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि किताब की मूल प्रति में जो बातें लिखी हैं उनसे 17 साल में ताजमहल बनने का दावा गलत लगता है. जिस जगह पर ताजमहल है वहां पहले से राजा मान सिंह की बनवाई इमारत मौजूद थी. उसी में कुछ और चीजों को जोड़ कर जगह को नया नाम दे दिया गया.


कोर्ट ने दिया ये जवाब...


वकील ने यह भी कहा कि भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (ICHR) को सही तथ्य लोगों के सामने रखने का निर्देश दिया जाना चाहिए. इस पर जस्टिस एम आर शाह और सी टी रविकुमार की बेंच ने कहा, "आप इन बातों में कोर्ट को क्यों खींचना चाहते हैं? यह कोर्ट का काम नहीं है. इसके बारे में आप ASI से मांग कीजिए. सरकार को ज्ञापन सौंपिए."


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