नई दिल्लीः राज्य चुनाव आयुक्त को पद से हटाने के मामले में आंध्र प्रदेश सरकार को आज सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से मना कर दिया जिसमें एन रमेश कुमार को दोबारा बहाल करने के लिए कहा गया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया है.
राज्य की जगन मोहन रेड्डी सरकार ने 10 अप्रैल को एक अध्यादेश जारी कर आंध्र प्रदेश पंचायती राज एक्ट में बदलाव किया था. इसके तहत राज्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 5 साल से घटाकर 3 साल कर दिया गया था. इसी बदलाव को आधार बनाते हुए राज्य के चुनाव आयुक्त एन रमेश कुमार को पद से हटा दिया गया. राज्य सरकार ने उनके बदले मद्रास हाई कोर्ट के पूर्व जज वी कनगराज को नियुक्त कर दिया.
इसे आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. पिछले हफ्ते हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के अध्यादेश को अवैध करार दिया. हाई कोर्ट ने रमेश कुमार को दोबारा पद पर बहाल करने के लिए कहा. इसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची. उसने दलील दी कि अध्यादेश राज्य में चुनाव प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए लाया गया था. इसलिए पूर्व आईएएस की बजाय हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज को चुनाव आयुक्त बनाया गया.
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच इस दलील से आश्वस्त नहीं हुई. चीफ जस्टिस ने कहा, "ऐसा नहीं लगता कि आपका अध्यादेश अच्छी नीयत से लाया गया था. हमें हाई कोर्ट के आदेश में दखल देने की कोई जरूरत नहीं समझते."
हालांकि, बाद में बेंच ने मसले पर विस्तार से विचार करने के निवेदन को मान लिया और नोटिस जारी कर दिया. कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के राज्य चुनाव आयोग और चुनाव आयुक्त को जवाब देने के लिए कहा है लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया कि वह हाई कोर्ट के आदेश पर कोई रोक नहीं लगाएगा. इस तरह से रमेश कुमार की पद पर बहाली तय हो गई है.
राज्य चुनाव आयुक्त का महत्व
राज्य चुनाव आयोग केंद्रीय चुनाव आयोग से अलग होता है. केंद्रीय चुनाव आयोग लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, विधान परिषद के चुनाव करवाता है. राज्य चुनाव आयोग राज्य में स्थानीय निकाय और पंचायतों के चुनाव करवाता है. इसके मुखिया राज्य चुनाव आयुक्त होते हैं. इस तरह किसी राज्य में स्थानीय निकाय और ग्राम पंचायत चुनाव के लिहाज से यह सबसे महत्वपूर्ण पद हैं.
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