सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त और 2 चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में चीफ जस्टिस को शामिल करने की मांग पर केंद्र को नोटिस जारी किया. हालांकि, कोर्ट ने मौजूदा कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. इस मामले में अप्रैल में अगली सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 के क्रियान्वयन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. अदालत ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम 2023 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया है.सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से अप्रैल में जवाब मांगा है. इसी अधिनियम के तहत सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को चुनाव आयुक्तों के चयन पैनल से हटा दिया गया था.
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी बनाने की मांग पर पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला दिया था. कोर्ट ने कहा था कि चुनाव आयुक्त का चयन चीफ जस्टिस, पीएम और नेता विपक्ष की कमेटी को करना चाहिए. लेकिन सरकार ने नया कानून पास करते हुए इस कमेटी में चीफ जस्टिस को न रखते हुए पीएम की तरफ से नामित प्रतिनिधि को जगह दी. यानी अब कमेटी में पीएम, विपक्ष के नेता और एक पीएम द्वारा नामित सदस्त होगा. इसे पिछले दिनों संसद में पेश किया गया था. इसे लेकर विपक्ष ने हंगामा किया था और मोदी सरकार पर निशाना साधा था. दोनों सदनों में बहुमत होने के चलते सरकार ने इसे आसानी से पास करा लिया.
संसद से पारित नए कानून को कांग्रेस नेता जया ठाकुर, वकील गोपाल सिंह, नमन श्रेष्ठ समेत कुछ और याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी है. मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने केंद्र से जवाब मांगा है. हालांकि, कोर्ट ने नए कानून के क्रियान्वयन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.