Suprem Court On VVPAT: मतदान की पुष्टि के लिए VVPAT को अपर्याप्त बताने वाली याचिका को तुरंत सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. कोर्ट ने नवंबर में सुनवाई की बात करते हुए कहा, "इस तरह का विषय कितनी बार उठेगा? हर 6 महीने में कोई याचिका दाखिल कर देता है. लोगों को इतना भी शक्की नहीं होना चाहिए."


एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स नाम के संगठन की याचिका में वोटर को ज़्यादा अधिकार देने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता ने वोटर को इस बात की पुष्टि करवाए जाने की मांग की है कि उसका वोट दर्ज हो गया है. 


याचिका में क्या अपील की गई थी?
याचिका में कहा गया है कि फिलहाल वोटर VVPAT मशीन पर यही देख सकता है कि उसने जो बटन दबाया था, वोट उसी को गया है. लेकिन यह वोट सचमुच रिकॉर्ड हुआ या नहीं, इसका पता नहीं चल पाता. 


अगस्त में हुई पिछली सुनवाई में भी जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता को ज़्यादा शक्की न होने की सलाह दी थी. लेकिन वकील प्रशांत भूषण के अनुरोध पर कोर्ट ने चुनाव आयोग से इस पर जवाब मांगा लिया था.


तुरंत सुनने लायक नहीं है विषय
अब जस्टिस खन्ना ने कहा है कि यह कोई ऐसा विषय नहीं है, जिसे तुरंत सुनना जरूरी है. पहले भी EVM और VVPAT के मिलान का प्रतिशत बढ़ाया गया था. अब यह नई मांग की जा रही है. हम इसे बाद में सुनेंगे. इस बीच अगर कुछ चुनाव हो भी जाते हैं, तो इससे कोई अंतर नहीं पड़ता. 


गौरतलब है कि अगले तीन महीने में देश के तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके तुरंत बाद अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव प्रस्तावित हैं. ऐसे में यह संस्थाएं सुप्रीम कोर्ट में वीवीपैट को लेकर याचिका दायर कर रही हैं.


ये भी पढ़ें: सोनिया गांधी की पीएम मोदी को चिट्ठी: बिना पूछे क्यों बुलाया सत्र, कार्यसूची का क्या हुआ? पूछा उनका एजेंडा, बताए अपने मुद्दे