Supreme Court On ED CBI: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (5 अप्रैल) को कांग्रेस (Congress) के नेतृत्व में 14 विपक्षी दलों की ओर से दायर की गई उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. जिसमें विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों का मनमाने ढंग से इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था. कोर्ट के फैसले के बाद विपक्षी दल बीजेपी (BJP) के निशाने पर आ गए. जानिए मामले से जुड़ी बड़ी बातें.
1. विपक्षी दलों की याचिका पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने विचार करने के लिए अनिच्छा जताते हुए कहा कि नेताओं की शिकायतों को सुनने के लिए अदालतें हमेशा मौजूद रहती हैं, जैसे वे आम नागरिकों के मामले में रहती हैं. नेताओं को आम नागरिकों की तुलना में अधिक छूट नहीं मिलती.
2. सीजेआई ने कहा कि एक बार जब हम यह स्वीकार कर लेते हैं कि नेता भी आम नागरिकों के बराबर हैं और उन्हें अधिक छूट नहीं है, तो हम कैसे कह सकते हैं कि तब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकती जब तक कि तीन आयामी जांच से संतुष्टि नहीं हो जाती. उन्होंने कहा कि आप कृपया तब हमारे पास आएं जब आपके पास कोई व्यक्तिगत आपराधिक मामला या मामले हों. किसी मामले के तथ्यों से संबंध के बिना सामान्य दिशानिर्देश देना खतरनाक होगा.
3. राजनीतिक दलों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने कोर्ट में कुछ आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि विपक्षी नेताओं को 2014 से 2022 तक जांच एजेंसियों की ओर से टारगेट किया गया है और सीबीआई व प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामलों में 600 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
4. उन्होंने दावा किया कि 2014 और 2022 के बीच, प्रवर्तन निदेशालय की ओर से 121 नेताओं के खिलाफ जांच की गई है, जिनमें से 95 प्रतिशत नेता विपक्षी दलों से हैं. नरेंद्र मोदी सरकार पहली बार मई 2014 में सत्ता में आई थी. सिंघवी ने आगे दावा किया कि सीबीआई ने 124 राजनीतिक नेताओं की जांच की है और इनमें से 108 विपक्षी राजनीतिक दलों के हैं. उन्होंने कहा कि मैं भविष्य के लिए दिशानिर्देश का अनुरोध कर रहा हूं. हम गिरफ्तारी से पहले के दिशानिर्देश और गिरफ्तारी के बाद जमानत के दिशानिर्देशों का अनुरोध कर रहे हैं. हालांकि कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.
5. याचिका दायर करने वाले दलों में कांग्रेस के अलावा द्रमुक, राजद, भारत राष्ट्र समिति, टीएमसी, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (यूबीटी), झारखंड मुक्ति मोर्चा, जनता दल यूनाइटेड, माकपा, भाकपा, समाजवादी पार्टी और जम्मू कश्मीर नेशनल कान्फ्रेंस शामिल थीं.
6. कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद विपक्षी दल सत्ता पक्ष के निशाने पर आ गए. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्वीट किया कि विपक्ष को बार-बार देश की स्वतंत्र एजेंसियों पर आरोप लगाने की आदत है. विपक्ष के लोगों के कारनामे पूरा देश देख रहा है. सारे ऐसे लोग जो भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त हैं आज वो एक मंच पर आकर झूठे आरोपों की राजनीति कर रहे हैं. आज सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी उन सभी को आईना दिखाने वाली है.
7. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार में लिप्त रहे लोगों ने एकजुट होने का प्रयास किया, लेकिन उनकी असलियत अदालत में सामने आ गई. इनका पर्दाफाश हो गया है. कांग्रेस भ्रष्टाचार के कृत्यों में और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों की अगुवाई रही है.
8. अनुराग ठाकुर ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि वे जांच में शामिल होने के बजाय बहाने बनाते हैं और मामले में देरी करते हैं. ये जांच एजेंसियों का अधिकार है कि वे भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों की जांच करें ताकि उनके खिलाफ समय पर कार्रवाई हो.
9. एआईएमआईएम चीफ और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी विपक्षी दलों को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि ये एक गलत कदम था, राजनीति करने का सही तरीका नहीं था, जब हम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी जैसे प्रतिद्वंद्वी का सामना कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट जाना एक नासमझी भरा फैसला था. अब इसने बीजेपी को ये कहने का मौका दिया है कि सुप्रीम कोर्ट हमारा समर्थन कर रहा है.
10. बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि एक भाव पीएम नरेंद्र मोदी में कि कोई वीवीआईपी कल्चर नहीं है, सब एक समान हैं और एक भाव कुछ भ्रष्टाचारी नेताओं में है कि वो कानून से ऊपर हैं. आज इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर आप नेता भी हैं तो आपको कोई अधिकार नहीं है कि आपके लिए कोई अलग कानून होगा. अगर किसी भ्रष्टाचारी को ये गलतफहमी है कि भ्रष्टाचार करेंगे और कानून का हाथ उन तक नहीं पहुंचेगा तो उनको बता दूं, ये मोदी सरकार है, जनता से लूटा गया एक-एक रुपया वसूला जाएगा.
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