Asaram News: सुप्रीम कोर्ट ने यौन हमलों के मामलों में आजीवन कारावास सहित अलग-अलग अवधि की कैद की सजा काट रहे आसाराम की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें स्वयंभू बाबा ने अपना आयुर्वेदिक उपचार के लिए सजा को कुछ महीने निलंबित करने का अनुरोध किया था. अदालत ने आसाराम का आग्रह खारिज करते हुए कहा कि किया गया अपराध किसी भी तरह साधारण अपराध नहीं था.


न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने राजस्थान सरकार के इस जवाब का संज्ञान लिया कि दोषी को आवश्यक उपचार उपलब्ध कराया गया है. पीठ ने याचिका खारिज करते हुए मौखिक रूप से कहा, ‘‘...यह किसी भी तरह साधारण अपराध नहीं था. आपको आपका पूरा आयुर्वेदिक उपचार जेल में ही मिलेगा.’’


दोषी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने कहा कि उनके मुवक्किल को उसकी बीमारियों के उपचार के लिए दो महीने की अंतरिम जमानत देने पर विचार किया जा सकता है. राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी ने कहा कि दोषी को जेल में ही अच्छा उपचार मिल रहा है और याचिका खारिज की जानी चाहिए.


बता दें कि इससे पहले आसाराम की याचिका पर जून में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए एक हफ्ते में राजस्थान की सरकार से जवाब मांगा था. आसाराम ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उनके बेहतर मेडिकल इलाज के लिए उनकी सजा के अस्थाई निलंबन की मांग ठुकरा दी गई थी.


सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने आसाराम के वकील सिद्धार्थ लूथरा की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी कर एक हफ्ते में राजस्थान सरकार से जवाब मांगा था. कोर्ट ने कहा था कि वह बाद में यह देखेंगे कि आसाराम को राजस्थान के किसी आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट सेंटर या फिर किसी और जगह बेहतर इलाज के लिए भेजा जा सकता है. आसाराम ने अपने खराब स्वास्थ्य के आधार पर कोर्ट से अंतरिम जमानत की मांग की थी. राजस्थान हाईकोर्ट की तरफ से याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.