Supreme Court: अंडरवर्ल्ड सरगना अबू सलेम की रिहाई को लेकर सीबीआई का जवाब सुप्रीम कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया है. कोर्ट ने केंद्रीय गृह सचिव से जवाब दाखिल करने को कहा है. सीबीआई ने कहा था कि भारत के तत्कालीन उप प्रधानमंत्री की तरफ से 2002 में पुर्तगाल सरकार को दिया गया आश्वासन किसी कोर्ट पर लागू नहीं होता. प्रत्यर्पण से पहले भारत सरकार की तरफ से किए वादे को लेकर इस जवाब पर कोर्ट ने असंतोष जताया. कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा रवैया अपनाया गया तो भविष्य में दूसरे भगोड़ों के प्रत्यर्पण में समस्या आएगी.
क्या है मामला?
कुख्यात अपराधी अबु सलेम ने दावा किया है कि भारत में उसकी कैद 2027 से ज़्यादा तक नहीं हो सकती. सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी को इस पर सीबीआई, केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से इस पर जवाब मांगा था. सलेम को 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था. उसने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि भारत सरकार ने 2002 में पुर्तगाल सरकार से यह वादा किया था कि उसे न तो फांसी की सज़ा दी जाएगी, न ही किसी भी केस में 25 साल से अधिक कैद की सज़ा होगी. लेकिन मुंबई के विशेष टाडा कोर्ट से उसे अब तक 2 मामलों में उम्रकैद की सज़ा दी जा चुकी है/ सलेम ने मांग की थी कि उसे रिहा करने के लिए 2002 की तारीख को आधार बनाया जाना चाहिए क्योंकि तभी उसे पुर्तगाल में हिरासत में ले लिया गया था. इस हिसाब से 25 साल की समय सीमा 2027 में खत्म होती है.
'सरकार बताए वादा निभाएगी या नहीं?'
मामले में सीबीआई ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि सरकार का आश्वासन कोर्ट पर लागू नहीं होता. वह केस के तथ्य के आधार पर सज़ा देता है. रिहाई को लेकर फैसला लेना सरकार का काम है. समय आने पर इसे देखा जाएगा. जस्टिस संजय किशन कौल और एम एम सुंदरेश की बेंच ने इस जवाब को असंतोषजनक बताया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार की तरफ से विदेशी सरकार से किए गए वायदे की अहमियत है. अगर उसे लेकर यह रवैया अपनाया गया, तो भविष्य में विदेश से किसी का प्रत्यर्पण करना कठिन हो जाएगा. कोर्ट ने केंद्रीय गृह सचिव से हलफनामा दाखिल करने को कहा है. इसके लिए उन्हें 3 सप्ताह का समय दिया गया है. मामले की अगली सुनवाई 12 अप्रैल को होगी.
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