फांसी के और नज़दीक पहुंचे निर्भया के 2 गुनाहगार, सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई क्यूरेटिव याचिका
क्यूरेटिव याचिका के लिए तय नियम के मुताबिक 5 जजों की बेंच ने बंद कमरे में विचार किया. तीन वरिष्ठ जजों जस्टिस एन वी रमना, अरुण मिश्रा और रोहिंटन नरीमन के साथ मामले में पहले सुनवाई कर चुकी जस्टिस भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण बैठे.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया हत्याकांड के 2 दोषियों विनय और मुकेश की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी है. इस तरह अदालत के ज़रिए फांसी से बचने का उनका आखिरी विकल्प भी खत्म हो गया है. अब उनके पास सिर्फ राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने का ही रास्ता बचा है. देश को झकझोर कर रख देने वाले इस कांड के चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी दी जानी है. अभी 2 दोषियों पवन और अक्षय ने क्यूरेटिव पेटिशन दाखिल नहीं की है.
दिल्ली की सड़कों पर दरिंदगी
16 दिसंबर 2012 की रात को फिल्म 'लाइफ ऑफ पाई' देखकर लौट रही 23 साल की निर्भया और उसका एक दोस्त दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका इलाके में एक चार्टर्ड बस में चढ़े थे. जुर्म की नीयत से बस में घूम रहे ड्राइवर समेत 6 लोगों ने बारी-बारी से निर्भया के साथ बलात्कार किया. उसके अंग में लोहे का सरिया डाल दिया दिया. इससे उसकी आंत बाहर आ गई. इसके बाद चलती बस से दोनों को फेंक दिया.
10 महीने में फैसला
मुख्य मुकदमे की सुनवाई दिल्ली की साकेत कोर्ट में फ़ास्ट ट्रैक तरीके से हुई. इस दौरान 11 मार्च 2013 को बस के ड्राइवर और मुख्य आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली. एक आरोपी के नाबालिग होने के चलते यस्क मुकदमा अलग से चला. उसे सिर्फ 3 साल की सज़ा हुई. बाकी 4 को 13 सितंबर 2013 को निचली अदालत ने फांसी की सजा दी.
सुप्रीम कोर्ट ने भी लगाई मुहर
चारों की फांसी पर 13 मार्च 2014 को दिल्ली हाई कोर्ट और 5 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगाई. कोर्ट के फैसले के बाद मुकेश, विनय और पवन ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की. 7 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने तीनों की पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी. 10 दिसंबर 2019 को अक्षय ने भी सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की. सुप्रीम कोर्ट ने उस पर तुरंत सुनवाई करते हुए 18 दिसंबर को उसे खारिज कर दिया.
डेथ वारंट जारी
18 दिसंबर को ही निचली अदालत के जज सतीश कुमार अरोड़ा ने तिहाड़ जेल प्रशासन को दोषियों को एक हफ्ते का नोटिस देने के लिए कहा. उस नोटिस में दोषियों से यह कहा गया था कि वह जिस कानूनी विकल्प का इस्तेमाल करना चाहें, कर लें. इसके करीब 20 दिन के बाद, 7 जनवरी को जब मामला कोर्ट में सुनवाई के लिए आया, तब तक दोषियों ने राष्ट्रपति के पास कोई याचिका दाखिल नहीं की थी. इसे देखते हुए जज ने 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी के लिए डेथ वारंट जारी कर दिया.
आज क्या हुआ
आज क्यूरेटिव याचिका के लिए तय नियम के मुताबिक 5 जजों की बेंच ने बंद कमरे में विचार किया. तीन वरिष्ठ जजों जस्टिस एन वी रमना, अरुण मिश्रा और रोहिंटन नरीमन के साथ मामले में पहले सुनवाई कर चुकी जस्टिस भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण बैठे.
उन्होंने मुकेश और विनय की क्यूरेटिव याचिका पर आपस में चर्चा की और उस नतीजे पर पहुंचे की उन्होंने ऐसी कोई नई बात नहीं कही है जो पहले पुनर्विचार याचिका में नहीं कही गई. जजों ने माना है कि यह याचिकाएं फिर से सुनवाई करने लायक नहीं हैं.
कोर्ट के ऐसे निष्कर्ष के बावजूद अब तक क्यूरेटिव दाखिल न करने वाले पवन और अक्षय के वकील ए पी सिंह ने कहा है कि वह उन दोनों की भी क्यूरेटिव याचिका दाखिल करेंगे.
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