Common Dress Code Hearing in Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों के मान्यता प्राप्त स्कूलों में समान ड्रेस कोड (Common Dress Code) लागू करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. शीर्ष अदालत (SC) ने यह कहते हुए सुनवाई करने से मना कर दिया कि यह तय करना कोर्ट का काम नहीं है. याचिकाकर्ता का कहना था कि ऐसा करने से छात्रों में एकता का भाव जगेगा.
सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय के 18 वर्षीय बेटे और लॉ स्टूडेंट निखिल उपाध्याय (Nikhil Upadhyay) ने कॉमन ड्रेस कोड को लेकर याचिका न्यायालय में दाखिल की थी. कर्नाटक के हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Controversy) के बाद कॉमन ड्रेस कोड की मांग ने जोर पकड़ा था. याचिकाकर्ता निखिल उपाध्याय ने याचिका में कहा था कि कॉमन ड्रेस कोड से छात्रों के बीच समानता, सामाजिक एकता और राष्ट्रीय एकता की भावना प्रबल होगी.
अर्जी में दिया था कई देशों के ड्रेस कोड का उदाहरण
इससे पहले मार्च में अदालत से मामले पर जल्द सुनवाई की गुहार लगाई गई थी. अदालत ने केस में जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया था. याचिकाकर्ता ने अर्जी में कई देशों के ड्रेस कोड का हवाला दिया था. याचिका में कहा गया कि ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, चीन, और सिंगापुर आदि देशों के स्कूल और कॉलेजों में एक समान ड्रेस कोड है. ड्रेस कोड मामले में नागा साधुओं का भी तर्क दिया गया. कहा गया कि अगर स्कूलों में ड्रेस कोड लागू नहीं हुआ तो आने दिनों में नागा साधु दाखिला ले सकते हैं और वे बिना कपड़ों के ही स्कूल आएंगे क्योंकि ऐसा करना उनके धर्म की मांग है.
याचिका में गिनाए गए थे ये फायदे
याचिका में कहा गया कि अलग-अलग कलर वाले कपड़ों के गैंग पर रोक लगाने के लिए समान ड्रेस कोड लागू होना जरूरी है. इससे आपसी रंजिश और हिंसा के मामलों पर भी लगाम लगेगी. अर्जी में कहा गया था कि स्कूलों में एक समान ड्रेस कोड लागू होने से लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूती मिलेगी, छात्रों को समान अवसर मिलेगा, मानवीय समाज बनेगा, सांप्रदायिक भेदभाव और जातीवाद रोकने में मदद मिलेगी.
याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि अदालत केंद्र और राज्य सरकारों को कॉमन ड्रेस लागू करने के लिए निर्देश जारी करें, एक इसके लिए एक नयायिक आयोग गठित कर पहले राय मांगी जाए और लॉ कमीशन को निर्देश देकर मामले की रिपोर्ट तैयार कराई जाए.
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