नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ओपिनियन पोल पर पाबंदी लगाने वाली याचिका पर विचारार्थ स्वीकार करने से इंकार कर दिया. याचिका में मीडिया के जरिए चुनाव अधिसूचना की तारीख से सभी चरणों के चुनाव संपन्न होने तक ओपीनियन पोल के प्रकाशन और प्रसारण को चुनौती दी गई थी.


अपनी राय देना व्यक्ति का अधिकार- कोर्ट


चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बैंच ने कहा कि कई विशेषज्ञ हैं और किसी स्थिति का विश्लेषण करके उस पर अपनी राय देना व्यक्ति का अधिकार है, फिर चाहे वह कोई घटना हो या फिर चुनाव.


 ओपिनियन पोल आने वाले चुनावों के बारे में झूठा और गलत पूर्वानुमान लगाते हैं- वकील


अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि बिना नियमन के ओपिनियन पोल आने वाले चुनावों के बारे में झूठा और गलत पूर्वानुमान लगाते हैं जिसका असर मतदाता के व्यवहार पर पड़ता है जिससे संविधान के अनुच्छेद19,1, ए के तहत सूचना प्राप्त करने की आजादी और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों की संकल्पना को नुकसान पहुंचता है. बैंच ने कहा कि कई नियम हैं जो ओपिनियन पोल का नियमन करते हैं.