पश्चिम बंगाल में 100 प्रतिशत EVM-VVPAT मिलान की मांग SC ने खारिज की, TMC नेता ने दाखिल की थी याचिका
वर्तमान में हर विधानसभा के 5 EVM का VVPAT से मिलान होता है. यह व्यवस्था 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने ही बनाई थी. तब कोर्ट ने 50 प्रतिशत EVM-VVPAT मिलान की मांग को अव्यवहारिक बताते हुए खारिज कर दिया था.
![पश्चिम बंगाल में 100 प्रतिशत EVM-VVPAT मिलान की मांग SC ने खारिज की, TMC नेता ने दाखिल की थी याचिका Supreme Court rejects plea by Trinamool Congress leader Demanding 100 percent VVPAT verification of votes ann पश्चिम बंगाल में 100 प्रतिशत EVM-VVPAT मिलान की मांग SC ने खारिज की, TMC नेता ने दाखिल की थी याचिका](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/04/14/ed216734973bc144ba5da82a03b8af1f_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में 100 प्रतिशत EVM-VVPAT मिलान की मांग सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. तृणमूल कांग्रेस के नेता गोपाल सेठ की याचिका में कहा गया था कि इससे पूरी तरह पारदर्शी चुनाव होगा. लेकिन कोर्ट ने कहा कि आधे से ज़्यादा चुनाव बीत जाने के बाद चुनाव प्रक्रिया में अब दखल नहीं दिया जाएगा. याचिकाकर्ता को चुनाव से पहले ही चुनाव आयोग से मांग करनी चाहिए थी.
वर्तमान में हर विधानसभा के 5 EVM का VVPAT से मिलान होता है. यह व्यवस्था 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने ही बनाई थी. तब कोर्ट ने 50 प्रतिशत EVM-VVPAT मिलान की मांग को अव्यवहारिक बताते हुए खारिज कर दिया था. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यह मांग कांग्रेस, सपा, बसपा, आरजेडी, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, सीपीएम और तेलगु देशम समेत कुल 21 पार्टियों ने की थी.
8 अप्रैल 2019 को तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने EVM-VVPAT का मिलान 50 प्रतिशत करने से मना कर दिया था. कोर्ट ने कहा था, "याचिका में जो मांग की गई है, उससे मौजूदा मिलान प्रक्रिया 125 गुणा बढ़ जाएगी. ये पूरी तरह अव्यवहारिक होगा. लेकिन फिर भी हम इस दलील से सहमत हैं कि चुनाव प्रक्रिया को ज्यादा विश्वसनीय बनाने की कोशिश करनी चाहिए. इसलिए यह आदेश देते हैं कि हर विधानसभा क्षेत्र से 5 EVM मशीनों का VVPAT की पर्चियों से मिलान करवाया जाए."
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से पहले हर विधानसभा की सिर्फ एक EVM का VVPAT पर्ची से मिलान होता था. इसके बाद कुछ और मौकों पर इस विषय पर याचिका दाखिल हुई. कोर्ट ने हर बार कहा कि एक ही मसले पर बार-बार सुनवाई नहीं हो सकती. अगर चुनाव आयोग को ज़रूरी लगे और वह प्रशासनिक व्यवस्था कर पाने में सक्षम हो तो खुद इस संख्या को बढ़ाने पर विचार कर सकता है. तृणमूल कांग्रेस नेता की याचिका ठुकराते हुए भी कोर्ट ने यह बात कही है.
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![अनिल चमड़िया](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/4baddd0e52bfe72802d9f1be015c414b.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)