नई दिल्ली: कर्नाटक के राजनीतिक संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट से बड़ी खबर आई है. बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि वो आदेश दें कि कुमारस्वामी बहुमत साबित करें, फ्लोर टेस्ट कराएं. सुप्रीम कोर्ट ने आज कोई आदेश देने से मना कर दिया है. इससे कुमारस्वामी को राहत मिली है और बागियों को झटका लगा है. बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने आज ही बहुमत परीक्षण का आदेश देने का अनुरोध किया. इस पर कोर्ट ने कहा कि इस तरह का आदेश नहीं देना चाहते, कल देखेंगे. इसके जवाब में रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि ठीक है फिर आप कल सुनवाई तय दीजिए. इस पर कोर्ट ने कहा कि कल देखेंगे.


सुप्रीम कोर्ट ने आज की इस टिप्पणी के बाद गठबंधन खेमे में थोड़ी राहत महसूस की जा सकती है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिनेश गुंडू राव ने एलान किया है कि सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत परीक्षण को लेकर कुछ भी नहीं कहा है, ऐसे में हम कल इस पर सुप्रीम कोर्ट का रुख देखना चाहते हैं. माना जा रहा है कि कोर्ट ने इस आदेश के बाद आज विधानसभा में वोटिंग नहीं होगा और एक दिन के लिए गठबंधन सरकार बनी रहेगी.


बता दें कि इससे पहले राज्यपाल दो बार बहुमत परीक्षण की डेडलाइवन दे चुके हैं. सरकार संकट में इसलिए है क्योंकि 15 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. 10 कांग्रेस के, 3 जेडीएस और 2 निर्दलीय विधायक कुमारस्वामी को गिराने पर आमादा हैं. स्पीकर किसी का इस्तीफा मंजूर कर नहीं रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस्तीफे पर कोई साफ आदेश दिया नहीं. इसी उहापोह में कर्नाटक की सरकार चली जा रही है.


इस सब के बीच इकलौते बीएसपी विधायक का मामला दिलचस्प हो गया है. विधायक एन महेश ने पहले दावा किया कि मायावती ने उनसे वोटिंग से दूर रहने को कहा है. इसीलिए विश्वास मत प्रस्ताव में वे ग़ैर हाज़िर रहेंगे. इस खबर के सामने आने के बाद मायावती ने ट्वीट किया कि कर्नाटक में विधायक सरकार के पक्ष में वोट करेंगे. इसके बाद से एन महेश का कोई अता पता नहीं है. उनका फोन स्विचऑफ जा रहा है. बीएसपी विधायक एन महेश को डूंढने के लिए मायावती ने अशोक सिद्धार्थ को कर्नाटक भेजा है. वे पार्टी के राज्य सभा सांसद हैं.