नई दिल्ली: बृहन्नमुम्बई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन यानी बीएमसी में नेता विपक्ष के पद पर दावा कर रही बीजेपी को आज झटका लगा. सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी के पार्षद प्रभाकर शिंदे की याचिका खारिज कर दी. शिंदे ने कहा था कि कांग्रेस राज्य सरकार में शिवसेना की सहयोगी है. इसलिए बीएमसी में कांग्रेस के पास नेता विपक्ष का पद नहीं रह सकता.


2017 में बीएमसी चुनाव के समय शिवसेना और बीजेपी राज्य की सत्ता में एक दूसरे के सहयोगी दल थे. इस सहयोग को बीजेपी ने बीएमसी में भी आगे बढ़ाया. चुनाव के बाद जब शिवसेना को बीएमसी की सत्ता मिली और उसका मेयर बना, तब बीजेपी ने नेता विपक्ष के पद पर दावा नहीं किया. यह पद 82 सीटें लाने वाली बीजेपी की जगह 31 सीटें लाने वाली कांग्रेस को मिल गया.


अब राज्य में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन की सरकार है. बीजेपी का कहना था कि राज्य की सत्ता में शिवसेना की साझीदार कांग्रेस बीएमसी में नेता विपक्ष का पद नहीं रख सकती. इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट इस याचिका को खारिज कर चुका है. हाई कोर्ट ने माना था कि एक बार पद पर दावा छोड़ने के बाद अब बीजेपी का दावा सही नहीं माना जा सकता.


सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने प्रभाकर शिंदे की तरफ से दलील दी थी. उन्होंने कहा था कि हाई कोर्ट ने मौजूदा स्थिति को समझे बिना उनकी याचिका ठुकरा दी. रोहतगी की शुरुआती दलीलों को सुनने के बाद 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर विचार की बात कही थी. लेकिन आज हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए शिंदे की याचिका खारिज कर दी.


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