Supreme Cort On Travelling Abroad: विदेश जाने वाले यात्रियों की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश बनाने पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दायर याचिका को सुनवाई के योग्य न मानते हुए खारिज कर दिया. मुख्य न्यायाधीश ने कहा जिस देश में लोग जाते हैं, वहां के कानून के मुताबिक उन पर कार्रवाई हो सकती है. इसमें विदेश मंत्रालय हस्तक्षेप नहीं कर सकता.
सुप्रीम कोर्ट में एक शख्स ने याचिका दायर की थी, जिसमें सर्वोच्च अदालत से विदेश मंत्रालय को विदेश में जाने वाले यात्रियों की सुरक्षा के लिए गाइडलाइंस बनाने की मांग की गई थी. इसमें कहा गया था कि विदेश जाने के दौरान भारतीयों को गिरफ्तार न किए जाने के संबंध में विदेश मंत्रालय दिशा निर्देश जारी करे.
याचिकाकर्ता खुद लिया गया था हिरासत में
याचिकाकर्ता का कहना था कि वह अबू धाबी में था, जब उसे वहां की पुलिस ने पकड़ लिया था. इस पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा हर देश के अपने कानून हैं और उन्हें मानना पड़ता है. चीफ जस्टिस ने कहा कि लोग जिस देश में जाते हैं, जरूरत पड़ने पर वहां के कानूनों के मुताबिक उन पर कार्रवाई हो सकती है. इसमें विदेश मंत्रालय कुछ नहीं कर सकता है, ना ही सुप्रीम कोर्ट इस बारे में कोई नियम बनाने का आदेश दे सकता है.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा देश से हर दिन हजारों लोग विदेश में जाते हैं. क्या आप चाहते हैं कि हम यात्रियों के लिए सुरक्षा निर्देश बनाने का निर्देश दें. हम ऐसा नहीं कर सकते. चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि आप जहां जाते हैं तो वहां के कानूनों का पालन करता पड़ता है। अगर किसी को लगता है कि किसी देश में उसे गलत तरीके से हिरासत में लिया गया है तो वह वहां पर कानूनी मदद ले सकता है. इसमें दिशा निर्देश देने के लिए क्या है.
क्या है नियम?
नियम के मुताबिक भारतीय दूतावास से जुड़े कर्मचारियों या अधिकारियों को डिप्लोमैटिक इम्युनिटी मिली होती है. ऐसे में किसी मामले में आरोपी बनाए जाने पर इन्हें संरक्षण मिलता है, जबकि सामान्य नागरिकों को उस देश के कानून के मुताबिक ही कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है.
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