सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को ठुकरा दिया, जिसमें 12वीं कक्षा के बाद 3 साल में कानून में बैचलर्स डिग्री देने की मांग की गई थी. अश्विनी उपाध्याय ने ये याचिका लगाई थी. उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि अभी BA-LLB कोर्स 5 साल का होता है. इस समय को 3 साल किया जाए. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, 5 साल का भी समय कम है.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. इसमें 12वीं के बाद 3 साल का लॉ बैचलर्स कोर्स कराने का निर्देश देने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता का कहना था कि लॉ बैचलर की 5 साल की अवधि अनुचित और अतार्किक है.
याचिका में मांग की गई थी कि बैचलर ऑफ साइंस, बैचलर ऑफ कॉमर्स और बैचलर ऑफ आर्ट की तरह ही 3 साल का कोर्स शुरू करने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए विशेषज्ञ कमेटी के गठन का निर्देश देने की मांग की गई थी.
याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा, छात्र 3 साल में 6 सेमिस्टर में 15-20 विषय आसानी से पढ़ सकते हैं. इसलिए छात्रों के लिए 5 साल का समय अनुचित है. इतना ही नहीं याचिका में कहा गया था कि बैचलर की डिग्री के लिए इतने समय की जरूरत नहीं है.
दरअसल, 12वीं के बाद कानून की पढ़ाई करने वालों के लिए 5 साल का कोर्स है. वहीं, बैचलर्स के बाद लॉ की डिग्री के लिए तीन साल की पढ़ाई की जरूरत पड़ती है. याचिकाकर्ता ने मौजूदा व्यवस्था को आर्टिकल 14 और आर्टिकल 21 का उल्लंघन बताया था.
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा, 5 साल का एलएलबी पाठ्यक्रम सही चल रहा है, इसमें छेड़छाड़ की जरूरत नहीं है. सीजेआई ने याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी. इतना ही नहीं चीफ जस्टिस ने कहा, कोर्स के लिए 5 साल का भी समय कम है.