हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने एक राज्य, एक वोट की शर्त में रियायत दी है. लोढ़ा कमिटी की सिफारिश में हर राज्य से एक ही क्रिकेट संघ को पूर्ण सदस्यता देने की सिफारिश की गई थी. इससे महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों पर असर पड़ रहा था, जहां लंबे अरसे से 3-3 क्रिकेट संघ सक्रिय हैं. साथ ही राज्य के मुताबिक सदस्यता मिलने की शर्त के चलते रेलवे, सेना और विश्वविद्यालयों के क्रिकेट संघ की सदस्यता खत्म हो जाने का खतरा हो गया था.
आज सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के तीनों क्रिकेट संघ- मुंबई, महाराष्ट्र और विदर्भ को पूर्ण सदस्यता दे दी. गुजरात के तीनों क्रिकेट बोर्ड- गुजरात, सौराष्ट्र और बड़ौदा भी पूर्ण सदस्य बनने में कामयाब रहे. रेलवे, सर्विसेज और यूनिवर्सिटीज़ को भी सदस्य का दर्जा मिल गया.
लोढ़ा कमिटी ने बीसीसीआई या राज्य क्रिकेट बोर्ड में किसी पदाधिकारी का कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद तीन साल के कूलिंग ऑफ पीरियड का प्रावधान रखा था. यानी वो व्यक्ति तीन साल तक दोबारा चुनाव नहीं लड़ सकता था. आज कोर्ट ने कूलिंग ऑफ पीरियड के प्रावधान को तो बरकरार रखा, लेकिन कहा कि ये दो लगातार कार्यकाल के बाद लागू होगा.
ये हैं बीसीसीआई के नए संविधान की अनिवार्य बातें-
- केंद्र या राज्य में मंत्री का पद संभाल रहे लोग क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारी नहीं बन सकेंगे.
- क्रिकेट संघ में नौ साल पूरे कर चुके लोग भी अब पद पर नहीं रह सकेंगे.
- 70 साल से ऊपर के लोगों को पद पर नहीं रह सकते.
- जिन लोगों पर आपराधिक मामलों में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, वो भी क्रिकेट बोर्ड का चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से 30 दिन में नया संविधान बना कर उसे तमिलनाडु के रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज़ के पास पंजीकृत करवाने के लिए कहा है. राज्य क्रिकेट बोर्ड को भी इस संविधान के मुताबिक अपने नियम बनाने होंगे.
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