Supreme Court On Halal India Limited: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (22 जनवरी) को हलाल सर्टिफिकेट जारी करने के मामले में बड़ी राहत दी. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने राहत देते हुए कहा कि हलाल इंडिया लिमिटेड और जमीयत उलेमा-ए-महाराष्ट्र के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हम वो ही आदेश पर कर रहे हैं जो हमने पहले जारी किया था." दरअसल 25 जनवरी को कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, "17 नवंबर 2023 को लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में हलाल इंडिया लिमिटेड और जमीयत उलेमा-ए-महाराष्ट्र के खिलाफ दर्ज एफआईआर को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जाए."
उत्तर प्रदेश सरकार ने क्या आदेश जारी किया था
नवंबर 2023 में उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल टैग वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने का आदेश पारित किया था. आदेश में कहा गया है कि खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के संबंध में समानांतर प्रणाली चलाने से भ्रम पैदा होता है. यह खाद्य कानून खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम की धारा 89 के तहत स्वीकार्य नहीं है.
इसमें कहा गया है, "खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता तय करने का अधिकार केवल उक्त अधिनियम की धारा 29 में दिए गए अधिकारियों और संस्थानों के पास है, जो अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार प्रासंगिक मानकों की जांच करते हैं. "
एफआईआर की थी दर्ज
उत्तर प्रदेश पुलिस ने बिक्री बढ़ाने के लिए कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं का शोषण करने के आरोप में हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई, जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट दिल्ली, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुंबई, जमीयत उलेमा-ए-महाराष्ट्र और अन्य जैसी संस्थाओं के खिलाफ एक विशिष्ट धर्म के ग्राहकों को हलाल प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए एफआईआर दर्ज की थी.
शिकायतकर्ता ने बड़े पैमाने पर साजिश पर चिंता जताई, इसमें हलाल प्रमाणपत्र की कमी वाली कंपनियों के उत्पादों की बिक्री को कथित तौर पर कम करने के प्रयासों का संकेत दिया गया और आरोप लगाया कि "जाली" हलाल प्रमाणपत्र प्रदान करके बिक्री बढ़ाने के लिए लोगों की धार्मिक भावनाओं का फायदा उठाया गया.
बता दें कि याचिकाकर्ताओं ने प्रतिबंध का अंतरराज्यीय व्यापार और उद्योग पर व्यापक प्रभाव है. देश भर में एक विशेष समुदाय से संबंधित उपभोक्ताओं को प्रभावित करता है.
इनपुट आईएएनएस से भी.
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