SC on Yogi Adityanath: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से राहत मिली है. चीफ जस्टिस एनवी रमना (CJI NV Ramana) की अध्यक्षता वाली बेंच ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा चलाने की अनुमति देने से मना कर दिया. 2007 में गोरखपुर में दिए गए भाषण से जुड़े इस मामले में राज्य सरकार ने मई 2017 में मुकदमे की अनुमति से मना किया था. 2018 में इलाहाबाद हाईकोर्ट भी इसे सही ठहरा चुका है.
याचिकाकर्ता परवेज़ परवाज़ का कहना था कि तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ के भाषण के बाद 2007 में गोरखपुर में दंगा हुआ. इसमें कई लोगों की जान गई. 2008 में दर्ज एफआईआर की राज्य सीआईडी ने कई साल तक जांच की. उसने 2015 में राज्य सरकार से मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी.
सुप्रीम कोर्ट से योगी को राहत
मई 2017 में राज्य सरकार ने इससे मना कर दिया. जब राज्य सरकार ने मुकदमा चलाने की अनुमति देने से मना किया, तब तक योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बन चुके थे. ऐसे में अधिकारियों की तरफ से लिया गया यह फैसला दबाव में लिया गया हो सकता है. योगी के लिए पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि असल में बात को इसलिए लंबा खींचा जा रहा है क्योंकि योगी अब मुख्यमंत्री बन चुके हैं.
वकील मुकुल रोहतगी ने क्या कहा था?
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि कई साल जांच के बाद सीआईडी को तथ्य नहीं मिले. उस दौरान राज्य में दूसरी पार्टियों की सरकार थी. 2017 में राज्य के कानून विभाग और गृह विभाग ने मुकदमा चलाने की अनुमति देने से मना किया. तब उसकी वजह भी यही थी कि पुलिस के पास मुकदमें के लायक पर्याप्त सबूत नहीं हैं. इसे पहले निचली अदालत और 2018 में हाईकोर्ट भी मान चुके हैं.
क्या भविष्य में हो सकती है सुनवाई?
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यूपी सरकार के आदेश और इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad HC) के फैसले को सही ठहराते हुए मामले का निपटारा कर दिया. हालांकि, कोर्ट ने कहा है कि याचिका में राज्य सरकार की शक्ति को लेकर जो कानूनी प्रश्न उठाए गए हैं, उन्हें खुला रखा जा रहा है. यानी भविष्य में सुप्रीम कोर्ट मुकदमे की अनुमति देने से जुड़े केंद्र और राज्य सरकारों की शक्ति पर सुनवाई कर सकता है. यहां यह साफ करना जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कानूनी सवाल जीवित रखने का योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मौजूदा मामले पर कोई असर नहीं पड़ेगा. अब यह मामला बंद माना जाएगा.
ये भी पढ़ें:
चुनाव में 'फ्री योजनाओं' की घोषणाओं पर रोक की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय बेंच को भेजा मामला