SC On Eknath Shinde: 'एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री नहीं बनते अगर...', सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
Supreme Court On Eknath Shinde: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को लेकर एक अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में बताया है कि कैसे शिंदे के लिए सीएम बनना संभव हुआ.
Supreme Court Remark Over Eknath Shinde: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अहम टिप्पणी की है. शीर्ष अदालत ने बुधवार (1 मार्च) को कहा कि अगर महाराष्ट्र के 39 विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर विधानसभा अध्यक्ष को फैसला लेने से रोका न गया होता तो एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ नहीं ले पाते.
वहीं, शिंदे गुट ने अदालत में दलील दी कि भले ही 39 विधायकों को विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया होता तब भी महाविकास अघाड़ी (MVA) की सरकार गिर जाती क्योंकि वह बहुमत खो चुकी थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने बहुमत परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे दिया था.
ठाकरे गुट की सुप्रीम कोर्ट में दलील
शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े ने इससे पहले अदालत में कहा था कि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे-नीत नई सरकार का गठन सुप्रीम कोर्ट के दो आदेशों का 'प्रत्यक्ष और अपरिहार्य नतीजा' था, जिसने राज्य के न्यायिक और विधायी अंगों के बीच 'सह-समानता और परस्पर संतुलन को बिगाड़ दिया.’’
ठाकरे धड़े ने अदालत से कहा था कि इन आदेशों में 27 जून, 2022 को विधानसभा अध्यक्ष को अयोग्यता संबंधी लंबित याचिकाओं पर फैसला करने की अनुमति नहीं देना और 29 जून, 2022 के आदेश में विश्वास मत की अनुमति देना शामिल हैं.
शिंदे धड़े के वकील से सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने शिंदे धड़े की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल से कहा, ''वे (उद्धव गुट) इस हद तक तो सही हैं कि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री के रूप में राज्यपाल की ओर से शपथ दिलाई गई थी और वह अपना बहुमत इसलिए साबित करने में सक्षम हो सके थे क्योंकि शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही कर पाने में अध्यक्ष सक्षम नहीं थे.’’
शिंदे धड़े के वकील ने क्या कहा?
कौल ने कहा कि 29 जून, 2022 के ठीक बाद, ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया था क्योंकि उन्हें पता था कि उनके पास बहुमत नहीं है और पिछले साल चार जुलाई को हुए बहुमत परीक्षण में, उनके गठबंधन को केवल 99 वोट मिले थे क्योंकि एमवीए (MVA) के 13 विधायक मतदान से अनुपस्थित थे.
पिछले साल चार जुलाई को शिंदे ने राज्य विधानसभा में बीजेपी और निर्दलीयों के समर्थन से बहुमत साबित किया था और 288 सदस्यीय सदन में 164 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था, जबकि 99 ने इसके विरोध में मतदान किया था. मामले पर सुनवाई गुरुवार (2 मार्च) को भी जारी रहेगी.
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे धड़े से पूछा था ये सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (28 फरवरी) को शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े से सवाल किया था कि क्या महा विकास आघाड़ी (एमवीए) में गठबंधन को जारी रखने की शिवसेना पार्टी की इच्छा के खिलाफ जाने का कदम ऐसी अनुशासनहीनता है, जिसके कारण उन्हें अयोग्य ठहराया जा सकता है. शिंदे गुट ने अपने रुख का बचाव करते हुए कहा था कि विधायक दल मूल राजनीतिक दल का एक अभिन्न अंग है. उसने कहा था कि पार्टी की ओर से पिछले साल जून में दो व्हिप नियुक्त किए गए थे और उसने उस व्हिप के आदेश का पालन किया, जिसने कहा था कि वह राज्य में गठबंधन जारी नहीं रखना चाहता है.
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