SC on Delhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आज काफी सख्त रुख अपनाया. कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि वह कुछ करें, नहीं तो अब कोर्ट कदम उठाएगा. इस टिप्पणी के जरिए कोर्ट ने  अपनी तरफ से एक स्वतंत्र टास्क फोर्स के गठन का संकेत दिया है. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार को विशेष रुप से फटकार लगी. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार सिर्फ प्रचार पाने की कोशिशों में लगी रहती है. उसके प्रयासों में कोई गंभीरता नहीं होती.


मामले की पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और पंजाब सरकार से यह पूछा था कि उन्होंने प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार की तरफ से बनाए गए आयोग के किन निर्देशों का पालन किया है और किन बातों को उन्होंने नहीं माना है. कोर्ट का यह कहना था कि आयोग के तमाम निर्देशों के बावजूद प्रदूषण की स्थिति वही बनी हुई है.


स्कूल खोलने पर दिल्ली सरकार को फटकार


चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत के बेंच के सामने इस मसले पर दिल्ली सरकार की तरफ से जवाब देने के लिए आज वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी खड़े हुए. सिंघवी ने दिल्ली सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों की जानकारी देने की कोशिश की. लेकिन चीफ जस्टिस ने उन्हें रोक दिया. उन्होंने कहा, "हम सरकार की तरफ से कोर्ट में कही गई बातों को गंभीरता से लेते हैं. लेकिन क्या सरकार भी उतनी गंभीर है. आपने इससे पहले हमें कहा था कि दिल्ली में स्कूल बंद रखे गए हैं. लेकिन मैंने आज अखबारों में देखा कि छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जा रहे हैं. माता-पिता घर से काम करें और बच्चे स्कूल जाएं, यह किस तरह की नीति है? आप कोर्ट में कुछ कहते हैं और सच्चाई कुछ और होती है. क्या आप चाहते हैं कि हम दिल्ली सरकार पर निगरानी रखने के लिए किसी को नियुक्त करें?"


सिंघवी ने बच्चों की पढ़ाई के नुकसान जैसी दलीलों के जरिए सरकार की नीति के बचाव की कोशिश की. लेकिन जज इससे अधिक आश्वस्त नजर नहीं आए. इस बीच याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने सेंट्रल विस्टा में चल रहे निर्माण कार्य का मसला उठा दिया. उन्होंने कहा कि वहां पर बड़े पैमाने पर धूल उड़ रही है. प्रदूषण को नियंत्रित रखने का दावा गलत है. केंद्र सरकार के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध किया. उन्होंने परियोजना को राष्ट्रीय महत्व का बताया.


'दिल्ली सरकार सिर्फ अपना प्रचार करती है'


इस बीच दिल्ली सरकार के वकील एक बार फिर यह बोल पड़े कि उनके एक मंत्री ने सेंट्रल विस्टा की साइट का दौरा किया है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, "आप के मंत्री को वहां जाकर तस्वीर खिंचवाने की क्या जरूरत थी?" बेंच के सदस्य जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "मैंने कोर्ट आने के दौरान रास्ते में देखा कि सड़क पर सरकार की तरफ से कुछ लोग प्रदूषण के खिलाफ युद्ध जैसा बैनर लिए खड़े हैं. बात यही है कि आप लोगों के सामने लोकप्रिय होने के तरीके ढूंढते रहते हैं. आपके प्रयासों में कोई गंभीरता नहीं है." चीफ जस्टिस ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "हम कोई विपक्ष के नेता नहीं है कि आपकी आलोचना करना हमारा काम है. हम सिर्फ प्रदूषण पर नियंत्रण चाहते हैं। लेकिन आप गंभीर नहीं दिख रहे."


टास्क फोर्स बनाने का संकेत


तीनों जजों का मानना था कि केंद्र और राज्य सरकारें बहुत तरह के काम करने का दावा कर रही हैं. लेकिन हकीकत में कुछ भी होता हुआ नहीं दिख रहा है. जजों ने कहा कि इस समय भी AQI स्तर 450 से ऊपर है. चीफ जस्टिस रमना ने आगे कहा, "हम तीनों जज आपस में बात कर रहे थे कि अब हमें कोई सख्त कदम उठाना पड़ेगा. हमें एक स्वतंत्र टास्क फोर्स का गठन कर सकते हैं. फ्लाइंग स्क्वाड भी बनाए जा सकते हैं, जो प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों, निर्माण और गाड़ियों पर सीधी कार्यवाही करें."


बेंच के सदस्य जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने सवाल उठाया कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए केंद्र की तरफ से बनाए गए आयोग के पास अपने निर्देशों को लागू करवाने की कोई कानूनी शक्ति नहीं है. जज का कहना था कि आयोग सिर्फ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दे सकता है. सुनवाई के दौरान टास्क फोर्स बनाने के प्रस्ताव का केंद्र और दिल्ली सरकार के वकीलों ने विरोध किया. आखिरकार सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें 1 दिन का वक्त दिया जाए. मेहता ने कहा, "मैं मंत्री से बात करूंगा. मेरी सोच में एक समाधान है. मुझे कल तक का समय दीजिए."


24 घंटे का अल्टीमेटम


सुनवाई के अंत में चीफ जस्टिस एन वी रमना ने सरकार को 1 दिन का वक्त देने का अनुरोध स्वीकार कर लिया. उन्होंने कहा, "हम आपको 24 घंटे का समय दे रहे हैं. आप कुछ कीजिए, नहीं तो हमें कुछ करना पड़ेगा." कोर्ट ने कहा है कि कल नियमित समय से आधा घंटा पहले सुबह 10 बजे कार्रवाई शुरू की जाएगी और आधे घंटे में सरकार के जवाब को देखने के बाद आदेश पारित कर दिया जाएगा.


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