खाप सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट की खरी-खरी, कहा- 'किसी को प्यार करने की सजा देना अपराध का बदतर रूप'
देश में कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं.जब सिर्फ प्रेम करने के लिए किसी को मौत के घाट उतार दिया गया. खाप पंचायतों के फैसले को लेकर वक्त वक्त पर सवाल उठते रहे हैं. अब 30 साल पुराने एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने खाप के सदस्यों को फटकार लगाई है.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 30 साल पुराने एक ऑनर किलिंग के केस को लेकर सख्त टिप्पणी सामने आई है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ऑनर किलिंग के केस पर सुनवाई की.कोर्ट ने इस सुनवाई में कहा कि किसी भी शख्स को सिर्फ इसलिए सजा नहीं दी जा सकती क्योंकि उसने प्रेम किया है. प्रेम करने के लिए सजा देना पूरी तरह से जघन्य अपराध है.
साल 1991 का है ये मामला सुप्रीम कोर्ट ने साल 1991 के एक ऐसे ही मामले में सुनवाई की. इस वारदात में खाप पंचायत की तरफ से सुनाए गए फरमान के बाद एक दलित युवक, उसके चचेरे भाई और एक युवती की हत्या गई थी. तीनों के शव पेड़ से लटके हुए मिले थे. वारदात इतनी जघन्य थी कि पेड़ पर टांगने से पहले युवकों के प्राइवेट पार्ट्स भी जला दिए गए थे. यूपी के मथुरा जिले में हुई इस जघन्य वारदात को लेकर काफी हंगामा भी हुआ था.
पंटायत ने सुनाया मौत का फरमान
दरअसल युवक और युवती के परिवारवाले शादी के लिए तैयार नहीं थे जिसके बाद दोनों घर से भाग गए थे. इस काम में युवक के चचेरे भाई ने प्रेमी युगल की मदद की थी. जिसके कुछ वक्त बाद प्रेमी युगल गांव लौट आया था. लेकिन गांव में पंचायत हुई और तीनों को मौत के घाट उतारने का फरमान जारी कर दिया गया था. इज्जत के नाम पर पंचायत में इस घिनौनी वारदात को सही ठहराया गया था.
प्यार करने के लिए नहीं दी जा सकती सजा - कोर्ट इस मामले में लोअर कोर्ट ने आठ दोषियों को सजा ए मौत दी है. 2016 में मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहुंचा था तो मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया. इन दोषियों में से कई ने सुप्रीम कोर्ट में स्वास्थ्य के आधार पर बेल अपील की थी. जिसकी सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे ने ये टिप्पणी की है. चीफ जस्टिस ने कहा कि किसी को सिर्फ इसलिए सजा नहीं दी जा सकती क्योंकि उसने प्रेम किया है.
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