नई दिल्ली: इन दिनों सुप्रीम कोर्ट में आधी से ज्यादा याचिकाएं कोरोना से संबंधित ही आ रही हैं. इनमें से कई याचिकाएं तो ऐसी होती हैं जिन्हें कोर्ट सुनवाई के लायक भी नहीं मानता. लगातार बढ़ते ऐसे मामलों को देख कर आज जजों के सब्र का पैमाना छलक गया. कोर्ट ने टिप्पणी की, "आज कल खाली बैठा हर वकील कोरोना विशेषज्ञ बन गया है. लोग कोविड-19 और लॉकडाउन पर घर बैठे कोई ना कोई याचिका तैयार करके दाखिल कर दे रहे हैं. सरकार के पास कोई बात रखने की तो जैसे कोई जरूरत ही नहीं है. उनके लिए सुप्रीम कोर्ट की सरकार हो गया है."


किराए का सवाल उठा रहे वकील को फटकार


लॉकडाउन के दौरान किराएदारों को किराए के लिए बाध्य न किए जाने के गृह मंत्रालय के आदेश के पूरी तरह पालन की मांग कर रहे वकील को सुप्रीम कोर्ट की फटकार लगाई. पहले भी इस तरह की याचिका दाखिल कर चुके वकील पवन प्रकाश पाठक से कोर्ट ने कहा, "हमारा काम सरकार के आदेश को लागू करवाना नहीं है. सरकार ने शिकायत के लिए हेल्पलाइन बना रखी है. जिसे समस्या हो वहां शिकायत कर सकता है. कुछ वकीलों के पास इन दिनों काम नहीं है, तो कोविड 19 पर ही कोई न कोई याचिका दाखिल कर दे रहे हैं. आप जैसों पर जुर्माना लगना चाहिए." हालांकि इस टिप्पणी के बाद कोर्ट ने बिना जुर्माना लगाए याचिका खारिज कर दी.


‘हम सरकार नहीं चला रहे’


इसी तरह दिल्ली में रह रहे छात्रों का किराया माफ करने की मांग करने वाली याचिका पर भी कोर्ट ने हैरानी जताई. जजों ने याचिकाकर्ता को सरकार के पास जाने की सलाह देते हुए कहा, "यह नीतिगत मामले हैं. इन्हें कोर्ट कैसे तय कर सकता है? हम सरकार नहीं चला रहे हैं."


पुलिस को PPE किट देने की मांग


पुलिस के लोगों PPE किट देने और उनके वेतन में कटौती न करने की मांग पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया. रिटायर्ड पुलिस अधिकारी भानुप्रताप बर्गे ने इस बारे में याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने कहा, "आजकल हर कोई कोविड 19 का विशेषज्ञ बन गया है. बेहतर हो आप संबंधित राज्य सरकारों के सामने अपना सुझाव रखिए. अगर कोई राज्य वाकई पुलिस कर्मियों का वेतन काट रहा है, तो वहां की सरकार को ज्ञापन दीजिए. हाईकोर्ट में याचिका लगाइए."


‘आप सांसद हैं, संसद में बहस कीजिए’


व्यापारिक घरानों से मिलने वाली कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी यानी CSR सहायता राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में भी दिए जाने की मांग पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से मना कर दिया. याचिका तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने दाखिल की थी. इसमें कहा गया था कि मौजूदा कानून के तहत CSR सिर्फ प्रधानमंत्री कोष को मिल सकता है. कोर्ट ने कहा अगर कानून में कोई कमी है तो आप खुद सांसद हैं. इस कानून पर संसद में बहस कीजिए. कोर्ट में नहीं.


मजदूरों को राशन का ख्याल रखेगी सरकार


कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लॉकडाउन में पलायन कर रहे मजदूरों को राशन सुनिश्चित करने की सुप्रीम कोर्ट से मांग की. उनकी याचिका में मांग की गई थी कि खाद्य सुरक्षा कानून पूरी तरह लागू हो. कई मजदूरों के पास उस क्षेत्र का राशन कार्ड नहीं जहां वह लौटे हैं. कई के पास राशन कार्ड है ही नहीं.


सरकार की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने आश्वासन दिया कि इस याचिका में कही गई बातों पर गौर किया जाएगा. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मजदूरों को राशन मिलने में समस्या न हो. इस आश्वासन के बाद जयराम रमेश ने याचिका वापस ली.


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