तीन तलाक पर SC में सुनवाई पूरी, कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, नरम पड़ा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
नई दिल्ली: तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है. वहीं इस मामले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) नरम रुख अखतियार करते हुए कहा है कि तीन तलाक से बचने के लिए काजियों को एडवाइजरी जारी की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक पर चल रही सुनवाई का आज छठा दिन था.
Supreme Court reserves order in triple talaq case pic.twitter.com/YMIOy0eIzl
— ANI (@ANI_news) May 18, 2017
अबतक क्या-क्या हुआ ?
सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक पर सुनवाई के दौरान पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने सरकार से सवाल किया कि अगर वो तीन तलाक को गलत मानती है तो इसके लिए खुद कानून क्यों नहीं बनाती.
3 तलाक स्वीकार न करने का अधिकार क्यों नहीं– कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कल मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से ये सवाल किया कि क्या निकाहनामे में ऐसी शर्त शामिल की जा सकती है कि महिला तीन तलाक स्वीकार नहीं करेगी? इस पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर बोर्ड ऐसी सलाह जारी करता है, तब भी इस बात की गारंटी नहीं हो सकती कि निचले स्तर पर काज़ी इस पर अमल करेंगे. फिर भी बोर्ड के सदस्य इस सुझाव पर चर्चा करेंगे.
3 तलाक की तुलना राम की जन्मस्थली से करने पर विवाद
इससे पहले परसों कपिल सिब्बल ने तीन तलाक की तुलना भगवान राम के जन्मस्थान से करते हुए कहा था कि जैसे राम लला का जन्म अयोध्या में होना हिंदुओं की आस्था का विषय है वैसे ही तीन तलाक मुसलमानों की आस्था का, इसलिए उसे संवैधानिक नैतिकता से नहीं जोड़ना चाहिए. सिब्बल के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हुई.
संबित पात्रा ने कपिल सिब्बल पर साधा निशाना
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्विटर पर लिखा, ‘’सिब्बल जी, तीन बार राम बोलो तो दुःख दूर होता है. तीन बार तलाक़ बोलो तो दुःख शुरू होता है. यही फ़र्क़ है राम और तलाक़ में.’’
3 तलाक अल्पसंख्यक बनाम बहुसंख्यक का मुद्दा नहीं- सरकार
वहीं कोर्ट में सरकार का पक्ष रख रहे एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कल कहा कि इस मसले को बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक बनाने की कोशिश गलत है. ये महिलाएं अल्पसंख्यकों में भी अल्पसंख्यक है. वो पीड़ित हैं. बात उनके हक की है.
रोहतगी ने कहा, ‘’तीन तलाक को अवैध करार देने से इस्लाम पर कोई असर नहीं पड़ेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि ये धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. जिन मुस्लिम देशों ने इस व्यवस्था को खत्म किया, वहां इस्लाम पर अमल जारी है.’’
तीन तलाक महिलाओं के हक का मसला है- सरकार
एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सती प्रथा उन्मूलन, छुआछूत जैसे मसलों को उठाया और कहा कि समाज में सबको मौलिक अधिकार मिल सके इस दिशा में काम किया जाना चाहिए. इस पर कोर्ट ने पूछा कि इनमें से कितने विषय हैं जिनमें अदालत को दखल देना पड़ा हो. आखिर सरकार खुद तीन तलाक पर कानून क्यों नहीं बनाती है?
इसके जवाब में एटॉर्नी जनरल ने कहा, ‘’हम वो सब कुछ करेंगे जो ज़रूरी है. अभी मसला कोर्ट में है. ये देखना है कि कोर्ट क्या करता है.’’
पिछले पांच दिनों की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के पक्ष और विपक्ष में दलीलें रखी जा चुकी हैं. आज सुप्रीम कोर्ट ने ये संकेत दिए कि आज ये सुनवाई पूरी की जा सकती है. ऐसान होने के बाद ही तीन तलाक पर कोर्ट के फैसले की उम्मीद की जा सकती है.