Muslim Judges In Supreme Court: सुप्रीम में इस साल दो मुस्लिम न्यायाधीशों की सेवानिवृत्त होने के बाद अब इस समुदाय से आने वाले कोई भी न्यायाधीश देश की शीर्ष अदालत में नहीं हैं. लेकिन क्या ऐसा पहली बार हुआ है ? दरअसल अतीत में भी ऐसा हो चुका है जब सुप्रीम कोर्ट में देश के दूसरे सबसे बड़े समुदाय का कोई भी न्यायाधीश नहीं है. यह 11 सालों में पहली बार है और लगभग तीन दशकों में केवल दूसरा मामला है, जब सुप्रीम कोर्ट में कोई मुस्लिम जज नहीं है.
साल 2012 में आखिरी बार किसी मुस्लिम जज को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया था. नियुक्त किए जाने वाले जज जस्टिस एम वाई इकबाल और जस्टिस फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला थे. दोनों जज इस साल सेवानिवृत्त हो चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट में कुल 31 जजों की नियुक्ति की जा सकती है, फिलहाल वहां 28 जज सेवा में हैं.
इसके साथ ही माना जा रहा है कि जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच चल रही खींचतान के कारण अगले मुस्लिम जज का इंतजार थोड़ा लंबा हो सकता है.
देश में मुस्लिम जज और चीफ जस्टिस का क्या है इतिहास?
वर्तमान में बिहार के सीजे इकबाल अहमद अंसारी और हिमाचल के सीजे मंसूर अहमद मीर दो हाई कोर्ट में मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश हैं. सुप्रीम कोर्ट में सेवा देने वाले 196 सेवानिवृत्त और 28 वर्तमान न्यायाधीशों और मुख्य न्यायाधीशों में से 7.5 प्रतिशत मुस्लिम रहे हैं. इनमें से चार एम हिदायतुल्लाह, एम हमीदुल्लाह बेग, ए एम अहमदी और अल्तमस कबीर सीजेआई बने. सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम फातिमा बीवी मुस्लिम थीं.
2003 से 2005 तक भी नहीं था कोई मुस्लिम जज
पिछली बार अप्रैल 2003 से सितंबर 2005 तक करीब ढाई साल तक सुप्रीम कोर्ट में कोई मुस्लिम जज नहीं था. 4 अप्रैल 2003 को जस्टिस एस एस एम कादरी के सेवानिवृत्त होने के बाद 9 सितंबर 2005 को जस्टिस अल्तमस कबीर को सुप्रीम कोर्ट का नया जज नियुक्त किया गया था.
यह दिसंबर 2012 से अप्रैल 2013 तक की चार महीने की अवधि के दौरान सुप्रीम कोर्ट में चार मुस्लिम जज थे. इसमें सीजेआई अल्तमस कबीर, जस्टिस आफताब आलम, जस्टिस इकबाल और जस्टिस कलीफुल्ला का नाम शामिल है.
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