'वकील के खिलाफ नहीं किया जा सकता उपभोक्ता फोरम में मुकदमा', सुप्रीम कोर्ट ने NCDRC के फैसले को पलटा
Supreme Court On Consumer Protection Act: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (14 मई, 2024) को कहा कि खराब सेवा के लिए वकीलों के खिलाफ उपभोक्ता अदालतों में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता.
Supreme Court On Consumer Protection Act: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला देते हुए वकीलों को लेकर 2007 में आए राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग यानी NCDRC के फैसले को पलट दिया है. NCDRC ने कहा था कि वकील की अपने मुवक्किल को दी गई सेवा पैसों के बदले में होती है. इस कारण वह एक कॉन्ट्रैक्ट की तरह है. सेवा में कमी के लिए मुवक्किल अपने वकील के खिलाफ उपभोक्ता वाद दाखिल कर सकता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे नहीं माना है.
NCDRC के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने 13 अप्रैल 2009 को रोक लगा दी थी. अब जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और पंकज मिथल की बेंच ने अंतिम फैसला दिया है. जजों ने कहा है कि वकालत एक प्रोफेशन है. इसे व्यापार की तरह नहीं देखा जा सकता. किसी प्रोफेशन में कोई व्यक्ति उच्च दर्जे का प्रशिक्षण लेकर आता है. इस कारण उसके काम को व्यापार नहीं कहा जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
बेंच ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि एक वकील अपने मुवक्किल के निर्देश पर काम करता है. वह अपनी तरफ से कोर्ट में कोई बयान नहीं देता या मुकदमे के निपटारे को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं देता. इस कारण उसकी सेवा को उपभोक्ता संरक्षण कानून, 1986 की धारा 2(1)(o) में दी गई सर्विस की परिभाषा के तहत नहीं माना जा सकता.
चीफ जस्टिस से क्या सिफारिश की है?
इसके साथ ही 2 जजों की बेंच ने 1995 में आए सुप्रीम कोर्ट के 'इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बनाम वी पी शांता' फैसले पर भी दोबारा विचार की जरूरत बताई है. उन्होंने चीफ जस्टिस से सिफारिश की है कि तीन जजों की बेंच के उस फैसले को विचार के लिए बड़ी बेंच को सौंपा जाए. साल 1995 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल व्यवसाय को उपभोक्ता संरक्षण के तहत सर्विस करार दिया था.
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