अपने गुरु को 'परमात्मा' घोषित करने की मांग कर रहे याचिकाकर्ता पर SC ने लगाया जुर्माना, कहा- 'इससे सबक मिलेगा'
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने धर्मगुरु को परमात्मा घोषित करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी. साथ ही याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी ठोका.
SC Dismisses PIL: ओडिशा के आध्यात्मिक गुरु श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद्र को परमात्मा घोषित करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. कोर्ट ने कहा, "इस तरह का जुर्माना लगने से दूसरे लोग भी ऐसी PIL दाखिल करने से पहले 4 बार सोचेंगे. हर कोई अपनी श्रद्धा के अनुसार किसी को गुरु मानने को स्वतंत्र है. कोई यह नहीं कह सकता कि सभी उसके गुरु को मानें."
ओडिशा के बालासोर के रहने वाले याचिकाकर्ता उपेंद्र नाथ दलई ने अपनी याचिका में बीजेपी, आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, नेशनल क्रिश्चियन काउंसिल के अलावा सिख, बौद्ध, जैन संस्थाओं; रामकृष्ण मिशन, पुरी जगन्नाथ मंदिर, इस्कॉन मंदिर को भी पक्ष बनाया था. उनकी मांग थी कि कोर्ट इन सभी से मामले पर जवाब मांगे.
जस्टिस ने कहा- हम यहां भाषण सुनने नहीं बैठे
जस्टिस एमआर शाह और सीटी रविकुमार की बेंच के सामने याचिकाकर्ता खुद अपनी बात रखने के लिए पेश हुआ. उसने याचिका में लिखी गई बातों को पढ़ना शुरू किया. जस्टिस शाह ने उसे रोकते हुए कहा, "हम यहां भाषण सुनने के लिए नहीं बैठे हैं. यह किस तरह की याचिका है? ऐसा कैसे हो सकता है? आपको जिस गुरु को मानना है, आप मान सकते हैं. लेकिन दूसरे भी उन्हें परमात्मा का दर्जा दें, ऐसी ज़िद नहीं कर सकते."
जजों ने क्यों कहा प्रचार हित याचिका
जजों ने कहा कि याचिका को प्रचार के लिए दाखिल किया गया है. उन्होंने कहा कि इस याचिका पर जुर्माना लगाना जरूरी है, ताकि दूसरों को भी सबक मिले. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से 4 हफ्ते में 1 लाख रुपये जमा करवाने के लिए कहा. कोर्ट ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. यहां, सबको आज़ादी है कि वह अपने हिसाब से धर्म का पालन करे. यहां कोई किसी पर अपनी बात नहीं थोप सकता.
डाक विभाग ने छापा था टिकट
1888 में जन्मे श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद्र का निधन 1969 में हुआ था. उनके लाखों अनुयायी हैं. 1987 में डाक विभाग ने उनके नाम पर टिकट भी छापा था. उन्होंने 1946 में झारखंड के देवघर में सत्संग आश्रम स्थापित किया था, जिसकी दुनिया भर में 2 हज़ार से ज़्यादा शाखाएं हैं. उनके आध्यात्मिक ज्ञान के कारण उनके अनुयायी उन्हें युग पुरुषोत्तम भी कह कर पुकारते हैं.
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